बेटी की पाती | Beti Ki Pati

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बिन्दु काण्ड / खुला: प्लान लटबा गई हा बिदु बिटिया शक की पर कर मजा दिना मौत ही मरी भ्रभागी हा दरेमे मुद बिना नाप मे मुह फैले हैं. वात हैडारा... लाखों की करत है रगा वी वार्तें बिन. नकां. पिन खाक की ॥ वीस बप की सिंफ अवस्था निवासिनी थह राघी की 1 भटका देखा यहुत पिता को लिसी वात जो साथी थी 1 करती हा दिन रात एक तुम चित्तित हो बस मरे लिये । हो दहज पूरा कस भी सभी खुद्यी हा मेरे लिये मवबया थी मे श्रवला थी पर मे इतनी नहीं. निरीह सदा पराया धन बयां समसा बन सती थी कटव' हीन 11 मारे शम हया में कारण कनी नहीं था. मुह खोला 1 बडी श्रापदा बड़ी समस्या अपना की सने तोता 0 लालच खुश होता धन पावर मैं कंसे नागिन बन पाती । पीकर दूध साप फुफंकारे मुर्के वही खुरी उस जाती ॥1 मुझे सदा. से नफरत बावुल इन दहेज के नागा से 1 कर दोगे सबस्व पयोछावर मुक्ति नहीं इन मागा से ॥ इसलिय मे अपनी. लीला अपन झाप खतम करती बटी की डाली उठती है श्रर्थी नहीं उठा करती 1! एक नहीं कितनी ही. बिदु मर जाती. बे--श्रावाज बेसे ही कम नहीं रूढिया थ्ीर हुई कद में खाज 11 अपने अपने सानस को श्रपने भाप. यदल डालो इस रंगीन चकाचोंध मे परा तले कुचल डालो ॥1 इस दहेज वे हवा कु ड में दितनी भी श्राहुलिया होगी कितमी होली श्र प है कितनी ज्वाना शोर जलेगी ॥। (7)




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