हिंदी शब्दसागर | Hindi Shabdasagar
श्रेणी : भाषा / Language, हिंदी / Hindi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
35.22 MB
कुल पष्ठ :
1188
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अक्षोद
छाच्तोट-पशा पु० [ से० ] श्रखरोट ।
अच्तोनी+-सशा खरी० दे० 1
भ-सशा पु० [ से ] क्षोस का श्रभाव।
शांति ।
मि० 3. तोभरहित |. गंभीर । शांत । २
मेाहरहित । दे, निड॒र । निभय । ४. जिसे
बुरा काम करते हिचक न हो ।
सी० [ स० ] पूरी चतुः
रंगिणी सेना जिसमें १, ०६, ३५० पैदल,
इश, दे, १० घोड़े, २१, स, ७० रय और
२१, ८, ७० हाथी होते थे ।
ध्यक्स-सया पुर [श्र०] १, प्रतिविंब। छाया ।
परछाई' । २, तसवीर । चित्र ।
शरर्लर-नि० वि० दे० “यकसर” ।
[सें० अखंड ] न खेंगनेवाला।
न चुकनेयाला । थविनाशी 1!
श्खंड-वि० [ स० ] १. जिसके इुरुडे न
हाई । संपूर्ण । समग्र । पूरा । २, जा बीच
में न सके लगातार ३. वेरोक | नििन्न |
श्रखंडनीय-वि० [ सं० ] १. जिसके
न हों सके ।. र. जिसके विरुद्ध न कहां
जा सके । पुष्ट । युक्तियुक्त ।
#-वि० | स* अखड ] १.
श्रविच्द्िप्त । २. समूचा । संपूर्ण ।
सज्ञा पु० दे० “दास डल” 1
उखंडित-बि० [ स० ] ३. जिसके इुरुड़े
न हुए हें । श्रविच्छिन्न । २. संपूर्ण ।
समूचा । ३. निविध्न | घाधारहित । ४
जिसका क्रम ने टूटा इ। लगातार |
खज -वि० [ स० श्रष्ाय ] 9. श्रखाद्य । न
। २. । खराब ।
ध्खड़ेत-स्श पु० [ ईिंस याद के ऐत
( मत्य० ) | मे । चलवान् पुरुप ।
जती, झखतीज -पज्ञा ली दे०
चूतीया” ।
खी० [ अ० ] मास का
रसा । शोरबा 1
खयार-सश् पुं० [ ] समाचारपत्र ।
ख़बर का कागज ।
-वि० दे० “यित्तय” ।
-सशा पु० दे० अक्षर” ।
चसरना-क्रि० स० [ स० खर् | सलना 1
चुरा लगना । कष्टझूर होना ।
*:-वि० [सि० भन-दिं० सर न सच्चाण
झूडा । बनाचटी । कष्रिम 1
रू ञ्यग
संज्ञा पुं० [ से० झत्तर ] भूपी मिला
हुआ जा का श्रादा ।
झखसचवर, झस्त्ररावदी-सह् खी० दे०
झस्रोट-मंज्ञा पु० [ स० अचोट ग एक फट
दार ऊँचा पेड़ जा स्रूटान से श्रकृग़रानसतान
तरफ होता है
पु० दे० व्ाखा” ।
घ्रखाडा-सहा पु . [ स० झच्ाद] 9
कुश्ती उड़ने था कसरत करने के छ़िए
बनाई हुई जगह । २. साधुओं
की सांप्रदायिक मंडली । जमायत । ३.
तमाशा दिखानेवालों और गाने बजानेवालों
की मंडली 1 जमायत | दढ । ४. सभा ।
दरबार । रंगभूमि ।
खाद-वि० [ स० ] न खाने ग्राग्य ।
झखिल-वि० [स० ] १. सैपूण । समग्र ।
पूरा 1 २. सर्वेगएण । अझखड़ ।
--वि० दे० “थ्रक्षीणु” ।
छाख्रीर-सज्ञा पु० [ श्र० ] १, श्रेत । छार ।
२ समाप्ति ।
शखर-त्रि० [ स० न नदं +खूँदना न कम
देना ] जे न घटे या चुके । श्र्य । बहुत ।
दस्त -वि० दे० “थक्तय'
पु० [ स० अक्षयवर ] अक्षय
चद 1 गा
झखोर -वि० [हिं० थन-खाटा # बुरा ] १.
। सजन | २. सुंदर | दे. निदोप ।
वि० [ फा० आसोर ] निकस्मा । चुरा ।
सशा पु० १. कूड़ा बरकट 1 चीजू
२. सराब घास । चुरा चारा। विचाली ।
पु० | हिं० सलाद ] ऊँची नीची
या उभड़ सावड़ भूमि ।
सश्ा पु० [ सं० अक्त पुरा ] १८
झखाटा दे जाति या चक्की के बोच की
खूँरी । जाति की किछी । रे, या
लाइ का डंडा जिस पर गढ़ारी घूमती है
ख्याह या श्राश्ररयसूचक
शब्द ।
पु दे० “इख़ियार 1
झसयान -सश पु० दे० |
व्यगंड-सश्ा पु० [ स० ] वह घड़ जिसका
हाथ पैर कंट यया हो । क्ंघ 1
ब्ग-वि० [स० 19. न चलमेवाला ।
स्थावर 1. र. टेड़ा चजनेवाला ।
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