हिंदी शब्दसागर | Hindi Shabdasagar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अक्षोद छाच्तोट-पशा पु० [ से० ] श्रखरोट । अच्तोनी+-सशा खरी० दे० 1 भ-सशा पु० [ से ] क्षोस का श्रभाव। शांति । मि० 3. तोभरहित |. गंभीर । शांत । २ मेाहरहित । दे, निड॒र । निभय । ४. जिसे बुरा काम करते हिचक न हो । सी० [ स० ] पूरी चतुः रंगिणी सेना जिसमें १, ०६, ३५० पैदल, इश, दे, १० घोड़े, २१, स, ७० रय और २१, ८, ७० हाथी होते थे । ध्यक्स-सया पुर [श्र०] १, प्रतिविंब। छाया । परछाई' । २, तसवीर । चित्र । शरर्लर-नि० वि० दे० “यकसर” । [सें० अखंड ] न खेंगनेवाला। न चुकनेयाला । थविनाशी 1! श्खंड-वि० [ स० ] १. जिसके इुरुडे न हाई । संपूर्ण । समग्र । पूरा । २, जा बीच में न सके लगातार ३. वेरोक | नििन्न | श्रखंडनीय-वि० [ सं० ] १. जिसके न हों सके ।. र. जिसके विरुद्ध न कहां जा सके । पुष्ट । युक्तियुक्त । #-वि० | स* अखड ] १. श्रविच्द्िप्त । २. समूचा । संपूर्ण । सज्ञा पु० दे० “दास डल” 1 उखंडित-बि० [ स० ] ३. जिसके इुरुड़े न हुए हें । श्रविच्छिन्न । २. संपूर्ण । समूचा । ३. निविध्न | घाधारहित । ४ जिसका क्रम ने टूटा इ। लगातार | खज -वि० [ स० श्रष्ाय ] 9. श्रखाद्य । न । २. । खराब । ध्खड़ेत-स्श पु० [ ईिंस याद के ऐत ( मत्य० ) | मे । चलवान्‌ पुरुप । जती, झखतीज -पज्ञा ली दे० चूतीया” । खी० [ अ० ] मास का रसा । शोरबा 1 खयार-सश् पुं० [ ] समाचारपत्र । ख़बर का कागज । -वि० दे० “यित्तय” । -सशा पु० दे० अक्षर” । चसरना-क्रि० स० [ स० खर्‌ | सलना 1 चुरा लगना । कष्टझूर होना । *:-वि० [सि० भन-दिं० सर न सच्चाण झूडा । बनाचटी । कष्रिम 1 रू ञ्यग संज्ञा पुं० [ से० झत्तर ] भूपी मिला हुआ जा का श्रादा । झखसचवर, झस्त्ररावदी-सह् खी० दे० झस्रोट-मंज्ञा पु० [ स० अचोट ग एक फट दार ऊँचा पेड़ जा स्रूटान से श्रकृग़रानसतान तरफ होता है पु० दे० व्ाखा” । घ्रखाडा-सहा पु . [ स० झच्ाद] 9 कुश्ती उड़ने था कसरत करने के छ़िए बनाई हुई जगह । २. साधुओं की सांप्रदायिक मंडली । जमायत । ३. तमाशा दिखानेवालों और गाने बजानेवालों की मंडली 1 जमायत | दढ । ४. सभा । दरबार । रंगभूमि । खाद-वि० [ स० ] न खाने ग्राग्य । झखिल-वि० [स० ] १. सैपूण । समग्र । पूरा 1 २. सर्वेगएण । अझखड़ । --वि० दे० “थ्रक्षीणु” । छाख्रीर-सज्ञा पु० [ श्र० ] १, श्रेत । छार । २ समाप्ति । शखर-त्रि० [ स० न नदं +खूँदना न कम देना ] जे न घटे या चुके । श्र्य । बहुत । दस्त -वि० दे० “थक्तय' पु० [ स० अक्षयवर ] अक्षय चद 1 गा झखोर -वि० [हिं० थन-खाटा # बुरा ] १. । सजन | २. सुंदर | दे. निदोप । वि० [ फा० आसोर ] निकस्मा । चुरा । सशा पु० १. कूड़ा बरकट 1 चीजू २. सराब घास । चुरा चारा। विचाली । पु० | हिं० सलाद ] ऊँची नीची या उभड़ सावड़ भूमि । सश्ा पु० [ सं० अक्त पुरा ] १८ झखाटा दे जाति या चक्की के बोच की खूँरी । जाति की किछी । रे, या लाइ का डंडा जिस पर गढ़ारी घूमती है ख्याह या श्राश्ररयसूचक शब्द । पु दे० “इख़ियार 1 झसयान -सश पु० दे० | व्यगंड-सश्ा पु० [ स० ] वह घड़ जिसका हाथ पैर कंट यया हो । क्ंघ 1 ब्ग-वि० [स० 19. न चलमेवाला । स्थावर 1. र. टेड़ा चजनेवाला ।




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