महावीर जयंती स्मारिका १९९४ | Mahaveer Jayanti Smarika 1994

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Mahaveer Jayanti Smarika 1994 by अमर चन्द जैन - Amarchand Jainज्ञानचन्द बिल्टीवाला - Gyanchand Biltiwalaप्रेमचंद रांवका - Premchand Ranvakaसौभाग्यमल रांवका - Saubhagyamal Ranvaka

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अध्यक्षीय विश्ववंद्य भगवान महावीर की पावन जयन्ती पर “महावीर जयन्ती स्मारिका' का प्रकाशन करना राजस्थान जैन सभा की एक प्रमुख गतिविधि है । जिसका शुभारम्भ दर्शन शास्त्र के प्रकाण्ड विद्वान, महान चिन्तक, लेखक पं. चैनसुखदासजी न्यायतीर्थ ने संपादन कर किया था । यह उन्हीं की प्रेरणा का फल है कि स्मारिका का निरन्तर प्रकाशन हो रहा है । स्मारिका प्रकाशन एक गुरुत्तर कार्य है । इस इकतीसवें अंक का संपादन पूर्व वर्षों की भॉति दर्शनशास्त्र के प्रसिद्ध विद्वान श्री ज्ञानचन्द विल्टीवाला ने किया है । लेखों का चयन उन्हें सजाने संवारने में उनके सम्पादक मण्डल के सदस्यों का सहयोग भी भुलाया नहीं जा सकता । हम उन सभी के प्रति वहुत कृतज्ञ हैं । स्मारिका का प्रकाशन विभिन्न बन्धुओं के प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से प्राप्त सहयोग से ही संभव हो सका है जिसके लिय हम उन सभी के आभारी हैं । विद्वान लेखकों, विज्ञापनदाताओं, प्रवन्ध सम्पादक भाई श्री प्रेमचन्द जी छावड़ा एवं प्रबन्ध मण्डल के सदस्यों के प्रति भी हम अपना आभार प्रकट करते हैं । सभा के मंत्री श्री महेन्द्र कुमार जी पाटनी का योगदान महत्वपूर्ण रहा है, मैं उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट किये विना नहीं रह सकता | स्मारिका मुद्रण कार्य को समय पर सम्पन्न कराने में जैना प्रिन्टर्स एवं स्टेशनर्स के मालिक तथा कर्मचारियों का जो सहयोग प्राप्त हुआ है । उसके लिये उन्हें धन्यवाद करते हुये आभार प्रकट करते हैं । ऊअन्त में मे सभी सभा के पदाधिकारियों, कार्यकारिणी के सदस्यों, सहयोगियों, शुभचिन्तकों, विद्वानों, महिलाओं तथा युवा साथियों का जिनका सहयोग एवं मार्गदर्शन मिला है उनके प्रति अपना आभार प्रकट करता हूँ और आशा करता हूं कि भविष्य में भी सभा को इसी भांति सहयोग एवं मार्गदर्शन मिलता रहेगा । जय महावीर दि. 24 अप्रैल, 1994 रतनलाल छावड़ा जध्यय




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