अष्टछाप काव्य का सांस्कृतिक मूल्यांकन | Ashathchhap Kabya Ka Sanskritik Mulyankan

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Book Image : अष्टछाप काव्य  का सांस्कृतिक मूल्यांकन  - Ashathchhap Kabya Ka Sanskritik Mulyankan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( र४ ) पालागन--१८२, प्रणाम या प्रनाम--१८३, जुहार; हाथ जोड़ना और बिनती करना; आशीर्वाद के विविध रूप; आशीर्वाद या. असीस--१८४५ दार्तिगन करना (कंठ लगाना); प्रीति जनाना--१८५, पत्र-संबंधी शिष्टाचार--श१८६ । ” (घ) उत्सव तथा संस्कार--१८७, जन्मोत्सव--१८६, जातकर्म श्र जन्मोत्सव--१६ १, छुठी-उ१६५, नामकरण--१६८, निष्क्रमण, झन्नप्रासन १९६६, वष॑गाँठ-ए२००, चूड़ाक्में; कर्णवेघ--२०१, उपनयन (यज्ञोपवीत) उएए२०३, बेदारंभ, विवाह--२०४, वर-प्रे्ण--२०७,; सगाई या मेँगनी तऔर वाग्दान, सगाई--२०८५ वार्दान, निर्मत्रण--२०६, मंडपकरण--२१०, हल्दी-तेल चढ़ाना, वर की सजा--२११, कंकणु-बंधन, देवी-पूजन--२१३, चधू-्हागमन, सघुपक--२१४,. विवाह, पाणिग्रहण, गठबंधन--र२१५, तअगिनि-प्रद क्षिणा, कंकणु-मोचन--२१६, जुद्मा खेलना--२१७,; गाली गाना; न्यौछावर देना या सूर बाँटना; विदा--२१८, दायज या ददेज--२२०, णह- प्रवेश; अ्ंत्ये्ि--२२१, समीक्षा--२२४. | ._ $. सामाजिक जीवन-चित्रण की ...... रर७-४१३ (क,) सामाजिक व्यवस्था, वणु-व्यवस्था--२२६, अअष्टछाप-काव्य में व्णु-व्यवस्था-संबंधी - उल्लेख--२३१;.. ब्राह्मणणू२३२,. कच्षत्रिय--२१४, शूद्ध ; उआश्रम-व्यवस्था--२३५७ ज्रह्मचयांद्ाश्रम - चर्चा--२३ ६, ग़हस्थाश्रम चर्चा; वानप्रस्थाश्रम चर्चा, संन्यासाश्रम चर्चा--२३ ७ (ख) स्ष्टछाप-काव्य में मनोविनोद--२३७, बाल्यावस्था के खेल श्रोर मनोविनोद--२३८, कम दौड्-बूप के खेल--२३६, दौद-घूप के खेल; त्ँखमिचौनी--२४१, . छु्मा-छुभ्रौवल--२४३, बृक्चारोहण--२४४, वेल- वेल; कंदुक-क्रीड़ा--२४४५ चौगान-बटा--र२४६, श्रन्य खेल, पतंग--२४७, कहानी सुनाना, पहेली-बुमौवल--र२४८; शर-क्रीड़ा, बालिकात्यों के खेल -एर४६) युवकों के खेल; साहस के खेल, चौगान--२५.०, मल्लयुद्ध--२५.२, मूगया--२५४, बौद्धिक दाँव-पेच के खेल--२५५, युत-क्रीड़ा--२५७, कला- कौशल के खेल--र४५६,; मनोरंजन के श्रन्य साधन; कुज-विहार-- २६०, जल- बविहार--२६१, पशु-पत्षियों से क्रीड़ा--२६४, नट-विद्या, समीक्षा--२६५. | (ग) पर्वोत्सव--२६६, ऋतूत्सव, फूंलमंडली--२६७, हिंडोरा--र२६८




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