हिंदी विश्व भारती | Hindi Vishwa Bharati
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
179 MB
कुल पष्ठ :
133
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)लोगों के संपर्क से भारतवर्ष में भी फलित ज्योतिष का
........ प्रचार हुआ । फलित. ज्योतिष के श्नेक शब्द स्पष्ट रूप...
........ सेग्रीक उत्पत्ति के हैं। और श्न्य के प्रमाण भी हैं । सत्र
_...... हवीं; श्रट्टारवीं और उन्नीसवीं शताब्दियों में ज्योतिष के
........ श्रध्ययन का क्षय इतना हुआ कि बहुत-से विद्यार्थी केवल
........ .. उतना ज्योतिष्र पढ़ते थे, जितने की उनकों फलित ज्योतिष
'........ के लिए झावश्यकता पड़ती थी । इसीलिए धीरे-धीरे ज्यो-.
.... तिष श्र फलित ज्योतिष में कोई झ्रंतर ही न रद गया।.
..... लोग ज्योतिष से फलित ज्योतिष ही समकने लगे |
ऐसी “्रदहशाला
_..... इस अंथ में झारंभ से “ज्योतिष” शब्द वैज्ञानिक ज्योतिष
के अथ में प्रयुक्त हुआ है। भविष्य में भी जहाँ कहीं भी
विश्व की कहानी... .
_..... कदाचित् यह कहना कि उस समय के ऋषि सूय ्रादि . भी वेध जन-साधारण थोड़े-सें श्रम्यास के बाद सुगमता से...
“की स्थिति और मनुष्य के भाग्य में कोई संबंध. जोड़ना
कक . कर सकते हैं; या वे नवीन पुच्छल तारों की खोज कर सकते...
..... झनुचित समकते थे; श्धिक उपयुक्त होगा। पीछे ग्रीक
हैं : परम्तु इन सबके लिए बड़े घेय की श्रावश्यकता है
इन दिनों ज्योतिष में स्व-साधारण की रुचि बढ़ती ही.
जा रही है श्रौर कितने धनी सजन ज्योतिष में खोज करने...
_ के लिए काफ़ी धन दे जाते हैं । दुनिया-मर में सबसे बड़ी
_ वेघशाला; जो अमेरिका में माउश्ट विल्सन पर है; एक... .
सजन के दान से ही स्थापित हुई है। कई धनी लोग...
अपने मकानों में निजी वेघशाला बनवा लेते हैं पर
कार
कार होती हैं और सिनेमा-यंत्र की तरह बनी सशीन से इन...
.... छुतों पर ग्रहों श्र नच्तत्रों के चित्र डालकर उनकी गति
.दृष्टिगोंचर कराई जाती है । ल कफ
ज्योतिष की बहत-सी बातें श्रौर उनकी यधाथता का...
पहले भी विशुड, ज्यो-..
तिष की
थे सजीव प्रमाण हैं ।
प्रमाण प्रत्येक शिक्षित व्यक्ति समक सकता हैं। जिन...
ही सिद्धांतों पर तक करके श्र रीतियों का प्रयोग करके.
दी हा आधुनिक ज्योतिष ने तारों की दूरी; तौल; बनावट झ्रादि
ले . का ज्ञान प्राप्त किया है; उनका समकना पाठक के लिए;
कठिन न होगा । इसलिए प्रस्तुत ग्रंथ में केवल ज्योतिष के...
. परिणाम ही नहीं बतलाए जायेंगे ; वरन् इस बात के सम-
कोने की भी चेष्टा की. जायगी कि ज्योतिषीगण कैसे और . .
. क्यों किसी परिणाम पर पहुँचे हैं। मेरा विश्वास हैकि
.. परिणामों की झपेक्षा उनके प्राप्त करने की रीतियाँ झ्धिक
ं दे मनोरंजक प्रतीत होंगी ; जैसे, यह जानकर कि श्रुबतारा
दा हु ई फ.०,0०.0,0०0,00,00,000 मील दूर है; इतना झानद नहीं पर डी
मिलता; जितना इसे समक लेने में कि यह दूरी नापी केसे गई ।
हाल में...
....... जयपुर की बेघशाला.......
इस तरह की वेष-
शालाएँ उज्जैन, काशी...
है श्र दिल्ली में भी हैं।.....
1 भारतवर्ष . में आधुनिक
विज्ञान के विकास के...
ओर कितनी...
“अधिक रूचि थी इसकी... .
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