हिंदी विश्व भारती | Hindi Vishwa Bharati

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Hindi Vishwa Bharati by विभिन्न लेखक - Various Authors

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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लोगों के संपर्क से भारतवर्ष में भी फलित ज्योतिष का ........ प्रचार हुआ । फलित. ज्योतिष के श्नेक शब्द स्पष्ट रूप... ........ सेग्रीक उत्पत्ति के हैं। और श्न्य के प्रमाण भी हैं । सत्र _...... हवीं; श्रट्टारवीं और उन्नीसवीं शताब्दियों में ज्योतिष के ........ श्रध्ययन का क्षय इतना हुआ कि बहुत-से विद्यार्थी केवल ........ .. उतना ज्योतिष्र पढ़ते थे, जितने की उनकों फलित ज्योतिष '........ के लिए झावश्यकता पड़ती थी । इसीलिए धीरे-धीरे ज्यो-. .... तिष श्र फलित ज्योतिष में कोई झ्रंतर ही न रद गया।. ..... लोग ज्योतिष से फलित ज्योतिष ही समकने लगे | ऐसी “्रदहशाला _..... इस अंथ में झारंभ से “ज्योतिष” शब्द वैज्ञानिक ज्योतिष के अथ में प्रयुक्त हुआ है। भविष्य में भी जहाँ कहीं भी विश्व की कहानी... . _..... कदाचित्‌ यह कहना कि उस समय के ऋषि सूय ्रादि . भी वेध जन-साधारण थोड़े-सें श्रम्यास के बाद सुगमता से... “की स्थिति और मनुष्य के भाग्य में कोई संबंध. जोड़ना कक . कर सकते हैं; या वे नवीन पुच्छल तारों की खोज कर सकते... ..... झनुचित समकते थे; श्धिक उपयुक्त होगा। पीछे ग्रीक हैं : परम्तु इन सबके लिए बड़े घेय की श्रावश्यकता है इन दिनों ज्योतिष में स्व-साधारण की रुचि बढ़ती ही. जा रही है श्रौर कितने धनी सजन ज्योतिष में खोज करने... _ के लिए काफ़ी धन दे जाते हैं । दुनिया-मर में सबसे बड़ी _ वेघशाला; जो अमेरिका में माउश्ट विल्सन पर है; एक... . सजन के दान से ही स्थापित हुई है। कई धनी लोग... अपने मकानों में निजी वेघशाला बनवा लेते हैं पर कार कार होती हैं और सिनेमा-यंत्र की तरह बनी सशीन से इन... .... छुतों पर ग्रहों श्र नच्तत्रों के चित्र डालकर उनकी गति .दृष्टिगोंचर कराई जाती है । ल कफ ज्योतिष की बहत-सी बातें श्रौर उनकी यधाथता का... पहले भी विशुड, ज्यो-.. तिष की थे सजीव प्रमाण हैं । प्रमाण प्रत्येक शिक्षित व्यक्ति समक सकता हैं। जिन... ही सिद्धांतों पर तक करके श्र रीतियों का प्रयोग करके. दी हा आधुनिक ज्योतिष ने तारों की दूरी; तौल; बनावट झ्रादि ले . का ज्ञान प्राप्त किया है; उनका समकना पाठक के लिए; कठिन न होगा । इसलिए प्रस्तुत ग्रंथ में केवल ज्योतिष के... . परिणाम ही नहीं बतलाए जायेंगे ; वरन्‌ इस बात के सम- कोने की भी चेष्टा की. जायगी कि ज्योतिषीगण कैसे और . . . क्यों किसी परिणाम पर पहुँचे हैं। मेरा विश्वास हैकि .. परिणामों की झपेक्षा उनके प्राप्त करने की रीतियाँ झ्धिक ं दे मनोरंजक प्रतीत होंगी ; जैसे, यह जानकर कि श्रुबतारा दा हु ई फ.०,0०.0,0०0,00,00,000 मील दूर है; इतना झानद नहीं पर डी मिलता; जितना इसे समक लेने में कि यह दूरी नापी केसे गई । हाल में... ....... जयपुर की बेघशाला....... इस तरह की वेष- शालाएँ उज्जैन, काशी... है श्र दिल्ली में भी हैं।..... 1 भारतवर्ष . में आधुनिक विज्ञान के विकास के... ओर कितनी... “अधिक रूचि थी इसकी... .




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