फुलवाडी | Phulbari
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
146
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
रवीन्द्रनाथ टैगोर - Ravindranath Tagore
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)फुलवाड़ी
पानी ।. तृषितजन पोकर कहते: “कैसा मीठा पानी
है !--उत्तर में सुन पाते : हमारे ही बागीचे के
नारियल का पानी है' ।--इसपर सभी कहते : “ओहो,
तभी तो हम कह रहे थे कि आखिर क्यों इतना
मीठा है !'
आज इस भोरवेला में पेड़ों-तले दाजिलिग-चाय की
वाष्प के साथ बसी हुई नाना ऋतुओं की गंघ-स्मति
दीघेनिश्वास से मिलकर नीरजा के मन में हाय-हाय करती
है। खुनहले रंगों से रंगीन अपने उन्हीं दिनों को घह
जाने-किख दस्यु के हाथ से छीनकर चापस लौटा लाना
चाहतों है । चिद्रोही मन क्यों किसोको अपने सामने
नहीं पाता ? भलेमाजुसों की तरह सिर भऋकाकर भाग्य
को स्वोकार कर लेनेवाली लड़की तो वह है नहीं । फिर
इसके लिये ज़िम्मेदार कोन है? कस घिश्चव्यापी बच्चे
का यह लड़कपन है ! किस विराट् पागल थी यह छृति
है ! ऐसी परिपूण सष्टि में इस तरह निरथक भाव से
उलट-पलट किया तो किसने !
चिवाह के बाद उनके जीवन के दस पं लगात्यर
अधिमिश्र सुख में बीते थे। मन-हो-मन इसे लेकर
सखियों ने उससे ईपष्यां की थी ; सोचा था, नीरजा ने
पथ
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