साधू साध्वियों से | Sadhu Sadhviyon Se

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Sadhu Sadhviyon Se by संतयाल - Saantyaal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गत रथ समायतेया से दूर रह गए कपनी सामना या रूतमना का पोषग फालें के लिए सदारस्तियों और मदापरिप्रदियी या आधय लेने लगे । सर्मी शाध्यान्निफ्टी को. सरेखाम दियाला निकेश गया । ऐसे. रामाफरपित अध्यात्मजादी जपने सामनयीने के लिए शपथ थे लच्छी सर्छी भोति काने लगे, पहिसते के लिए दारीय, रेरानी या सलसतन, अपना गयी सगे मुखायम गध् लेने सगे, रदने के लिए जालीशान भगनों या उपयोग परने लगे, यीमार हो. लाने पर इजारों शपर्यों की. ऐलोपपिफ दर्या्िश और दॉहिस्सन समाज से सन सगे, अत पोगागो, तपीत्मेयों, दीसपसयों जारि के मो पर छाउग्दर और विग्रापन गरमे के लिए. धर्गपुर्प का. सास - रा सिषो पं नि पास पर कक किक मूः टिक डॉ जेपर सनिकों दी पिया बसी फगने लगे, अपनी यूजापयरिणा के लिए भी तरद्नतरद के उपाय अजमायें जामे राम; विन्तु समाज, सार था ५ कि मे शुः४ बन. जिनका, ये के रदिंग ग मं सिख दी यह सुरदी ८लस मान या इनमें परम नीति-रदिंग गाय है 4 के के कल रद्द हो तो सेसे संफ़े परसीण पेट उत्तर मिलेगा ' संतार छोर या. हि, हमारी बला से है साप्ट्र, समा आदि गा दा कक क समय था दा सती मारी काम रच सार यी गरदी सनपागें 2. के एम्स यो थ मी ल्फिक रास रस ४, दम ससार सत सुर सुनदान कफ पद से शयो पड है बी कै ७ दर री समाज से हमें गरय सेना देना है सगएरी लोग हू मेक 2] ;' भ् | ये झ्पे न दि स्ड त्ज डक | हस्पद 1 पर्योकि ऐसे सध्यामनादी समभायी जो रे ! संसार का उुस भी. पनतानदिगदा हो, पिियों का उच्नाइण हो प्रक्तितिमग फे डर के न साधन जिस भतसप डी या! शमय दो दही जाता मं. उसकी साधना फरसे मे मतसग ही पफया | व्यक्तिगत सत्र में साधुसों में चिन्तन से प्रायः निदत्ति दो ले सी | फलन घम पुर ध्राय: न छियापार्टों अववा रूढ. नियमापनियमों के फैदसामेम चन्द हो गए। सर्वसामान्य रुडिय्रहत समाल का राव रमुद्ध फियात्प्दों से व्यशिंगत चिफास सकता हो तो भी उनसे लिप रुनिका होता दि, द्यी प्रशार समाज के कगघार साधुपुष्प भी श्राय: अपनी पुरानी स चित प्रतिप्य के मा जौर प्राणमाह के फारण या समाज फा ” आशय छूर जाने के भय से समुक कटपरे में या. अमुक्त दम्मवद्धक,.




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