पत्र - व्यवहार भाग - 5 | Patr VyavaharBhag - 5
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
286
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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कि थे लय शशि पएए शो एव के गा
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कदर लि गर्यग ससे अप पर 1
बानी में अपने धान हुए, पर्यार थे शादायों की पक शूयी साई
दुई ही, दि दि छवणा दिए, दिए वे थपने माई सिव था से
कप धशामिए थे। से बहाव हव के चाप पर देगा साय शी सता
था बी शु झधिव शपादानि पर रियो से. उतरी भाई राधाइय
शोर सपा गे मिला था । है पतबी छोटा जरूर माना था, भौर
एस यह भगोगा भी था वि एुगे बुछ बहा शा ता में उसे थूरी सरह
थे बसा, छविन गरी शलि धौर पवभाव दो की. एवतव थे. इएं-
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संगत संतोष भी सही धा। इसी तरह के शिएस। मे हसारे यहाँ दी सौए-
बानी दा भी उन््ोत भाता थे श्यान थे दिए दिदार दिया था । उसके
दर थे बुछ ही यानों से सातुत्व बी बसी पूरी बर गतते थे, छेडिन
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थे जो निजी रिषते उन्होंने मान रखे थे, उनसे ये अपने ध्यविनग्त
जीवन के बारे मे पूरी 'र्चा बरते, सामसवर धपने जन्म-दिन बे अवसर
चर थे अपने गुणनदोपों वा हिसाव सगाते । उसका आकड़ा तैयार करते 1
इस बात को जाचते कि उनके दोपो से कितनी मात्रा कम हुई है। इस
थार भे चर्चा करके अयवा पत्रों द्वारा यद पृछते और जानना चाहते
कि उनके दोपो में गया फें पड़ा है। अपने बुजुर्गों से भी इसकी चर्चा
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