गोरों का प्रभुत्व | Goro Ka Prabhutv
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
320
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कक मे
धम्ती का चार पंचमाश रोक रखा दे । या यों कदिए कि यदि सौ
हो गौरे हैं ओर उनके पास सौ हो मील भूमि है, तो अस्सी गोरे
तो केवल बीस मील से भी फम स्थान में रदते हैं 'और बाकी घीस
गोरों ने श्वस्सी मील भूमि रोक रखी है । किस लिए ? इसलिए
कि उनकी ही सम्तान वहाँ रहे, वहाँ थी उपज से लाभ उठावे और
वन्य वर के लोग बहाँ घुस न सकें ! यही है गोरा का शअसहा
प्रभुत्व ! यद्दी है उनका 'मसदा बोस !
हम ऊपर कदद सुके हैं कि संसार में गोरों के अतिरिक्त पीत,
धूत्र, कृप्य और रक्त ये चार बर्ण हैं श्ौर इन सब की जन-संख्या
ए,१५४,०२,००,००५० है । इनमें से सय से श्रधिक संख्या पीत
वे के लोगों को दै जो ५०,००,००,०० से भी कुछ ऊपर दो
हैं । उनका निवास-स्थान पूर्वी एशिया है । इनके बाद धूश्र वश
या गेहुँ रंग के लोग हैं, जिनकी संप्या ४५,००,००,००० के
लगभग दे । ये लोग दक्षिणी तथा पश्चिमी एशिया श्नौर उत्तरों
चकरिका में बसे हुए हैं । फृप्ण वर्ण फे लोगों की जम-संग्या
१५,००,०५०,०००५ थे लगभग है 'योर उनका मुख्य निवास-स्थान
च्ामिका के प्रसिद्ध सददारा रेगिस्तान का दक्षिणी भाग दै । इनमें
से कुद लीग दक्षिण एशिया गौर उत्तर तथा दक्षिण अमेरिका के
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