पौम्छ्रिऊ | Paumahhriu Vol-2

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Paumahhriu Vol-2 by हीरालाल जैन - Heeralal Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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थ् पडमचरिउ चत्ता साव रजु जणयहोँ तणड उद्दूधु महादइ-वासिएंडिं । यध्यर-सवर-पुलिन्दएँ दिं दिमवन्त-विन्कसंयासिं दि 1 € 11 [द्उ चेदिय लगय-कणय दुष्पेच्ट्दिं । दव्दर-सवर-पुरिन्दा - सेस्दुद्रिं । १ 0 गरु्यासद्धऐं _ यार - सदायदों । लेटु पिससलिउ ,दसरद-रायहों ॥ रे 1 हूरई देवि सो वि. सण्णप्कट्द । रामु सन्लवखणु ताव चिरुम्मइ ॥ दे ॥। मद जीयन्तें ताय तु चह्नदि । दणमि वदरि छुट्द इच्युत्यह्वदवि' 0 ४ 01 घुनु णराद्विय “तुईँ चाठड । रम्मा-खर्म - गब्मन्सौमालड व ५11 किद्द नालग्यद्दि णरघर-विन्द्ड । किदद घड भन्नदि मत्त-गददन्दहँ ॥ ६ 1 किह रिउ-रददहेँ महारहु चोयदि । किद्द बर-तुरय तुरद्ई ढोयद्धि' ॥ ७ ॥ पभणड रामु “हाय पछटदि । हउँ जें पहुचमि काईँ पयटद्दि ॥) ५ ॥) घत्ता कि तुम इणइं ण चाल रवि किं बालु दवग्गि ण डहइ बशु । कि करि दलइ ण चाल दरि कि चालु ण. ढक डरगमणु” 11६01 [तु पहुं. पन्नटु पयटिड राहउ । दूरासंधिय - मेच्छ - मदादड ॥ १ ॥ दूसहु सो जि अष्प घुणु लक्खणु । एकु पवणु अण्णेक हुआसणु ॥ ९ ॥ चिण्णि मि मिडिय घुलिन्द्दों सारण । रबर - तुरय-जोह-गय-चाहर्ण 11 ३ 11 दीहर - सरंहिं वद्दरि संताविय । जणय-कणय रे उन्देदाबिय ॥ ४ ॥ 'वाइउ समरद्र्ण तमु रागउ 1 चब्वर-सवर-पुलिन्द - पद्ाणउ ॥ ७ ॥ तेरा छुमारदों चूरिड रहबरु । छिण्णु चु दोहाइड घशुद्दर ॥ द्‌ हा




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