बूटी प्रकाश | Buti Prakash

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Buti Prakash by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्द «.... बूरी प्रकाश + -र८ इन्द्रायण संस्कृत“-र्रेवारुणी इसकी बेल श्रकसर परके खारी हिन्दी-इंद्रायणु जमीन पर पदा होती है फूल पंजावी--तुमां छोटे २ कंडयां वाले धीर फल तंलेंगी-एतीपुच्छा पीले रंग के पर सापे इंद्रायण के श्लेग्रेमी--कोलोसिंय फ़ल थी. मूल के साथ जुलाब एगण्कण्ण: | दियाजाता दै बलगम घोर गला- फारमी-:खुरपजा तहख जन दो दुर््तों की राइ निकाले भ्रखी--इंजल सर्द मरयों के लिये लाभकारी वंगाली--राघालशशा . * ई दमाग को साफ करे संवाद गुजराती--इंदवाणीयुं बोड़ा ददर रोग, कफ, कोई, कर्गाटिकी---हामेके श्ौर ब्वर को हरे है पांड रोग मरददी--लघुईदवण घर सब ताद के पेट के रोग दूर सैट्न-सिंग्गल कर तारमीर गम खुशक मात्रा रमन ने से ई मागे सर ॥ बदला-दुध्बलनील




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