हिन्दी नाटकों में हास्य तत्त्व | Hindi Natko Me Hasya Tatva

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Hindi Natko Me Hasya Tatva by राम कुमार वर्मा - Ram Kumar Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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८ हि्दी नाटकों में हवास्य-तत्त् वर्मा, मिछिन्द, राघाकृप्ण आदि लेसकों ने अपनी कहानियों मे हास्य रस की सृप्टि वो है। इन लैखकों की रचनाओ मे हास्य व्यंथ शली के उदाहरण हप्टव्य है। अनन- पुर्णानन्द द्वारा रचित “मेरी हजामत' का यह सुन्दर उदाहरण देखिए-- गक यार मेरे मित्र रेल से सफर कर रहे थे । उनके वगल में एक मुसलमान सज्जन बैठे हुए थे जो लखनऊ के रहने वाले थे जोर इसीलिए अदरय ही कोई नवाव रहें होगे । छखनऊ स्टेशन पर दोना आादमियों ने बवडियाँ खरीदी । सुतलभान सर्जन ने बढ़ी नफासत के साय ककडियों को छोल कर छोटे छोटे टुकड़े किए आर फिर एक एक द्ुकडे को सूंघ कर बाहर फेंकने लगे । मेरे मित्र से न देखा गया । उन्होंने पूछा कि आप इन्हें खाते गया नहीं ” उन्होने उत्तर दिया कि करड़ियाँ खाते में कोई मजा नहीं, उनको खुशबू ही असल चीज है ।'* चोच जी की हास्य रस की कुछ कहानियों का संग्रह “छड़ी बनाम सोटा” नामक पुस्तक में हुआ है. । संग्रह की प्रथम कहानी के नाम से ही इसका नामकरण हुआ है । इन कहानियों के म्न्तर्गत लेखक स्वप्न की देखी वातो का उल्लेख करता है ओर मह अनुमान रूगाता है वि बह समप भी दूर नहीं है कि जब श्रीमती जी प्रर्ेंगी डिपर खाना तैयार है?” और थीमान जी उत्तर देंगे हाँ श्रीमती जी, आज्ञा हो तो परोसूँ १ * ग्रेमचन्द जी की दो-चार कहानियाँ हास्ययुक्त हैं । उन्होंने मोटेराम शास््नी को अपनी कहानियों का लायक बनाकर मनोरजक कदानियां की रचना की है जिनमें उच्च- कोटि के हास्य का प्रयोग हुआ है । भगवतीचरण वर्मा जी मे भी हास्पयुक्त बहानियों की 'स्वना की 1 इनकी कहानियों का सप्रहू 'दो वाके' के नाम से प्रकाशित हुआ है । निराला जी गम्भीर साहित्य के रच॑यिता थे फिर भी उनकी कहानियों में हास्य यम तम मिठता है । 'सुकुछ की बीवी' कहानी में हास्ययूण अनेक स्यठछ मिलते हैं। परीक्षा के समीप विद्यार्थी की बया स्थिति हती थी, हास्प के दृष्टिकोण से पठनीय है-- किताब उठाने पर ओर भय होता था, रख देने पर दूने दबाव से फेल हो जाने ताली चित्ता । अन्त में निश्चय किया, प्रवेशिका के द्वार तक जाऊंगा, घक्का न माछंगा, सम्य रुके की भाँति छोट जाऊँगा, परीक्षा के परचातू फिर” मेरे अविदचल कण्ठ से यह सुनकर कि सूबे में पहला स्थान मेरा होगा, अगर ईमानदारी से पर्चें देखे गए,,.। पर ज्यो-ज्यो फल के दिन निकट होते आते, मेरी लात्मा-वल्ठरी सुखती गयी 5 | बैदब बनारसी जी के हास्यपूर्ण कहानियों के दो संग्रह “मसूरो वाली” तया १, मेरी इजामत-मरी 'अननपूर्णानन्द--यू० ८ . घड़ी बनाम सोठा--चॉच' पृ० ७ र. सुकुल की बीवी-निराला, पु० १६




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