खुराक की कमी और खेती | Khurak Ki Kami Aur Kheti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
308
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about मोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)डर
सच्चा युद्ध प्रयत्न
आज सबसे ज़रूरी सवाल जो हमारे सामने खड़ा है, वह भूखसे
पीड़ित लोगोंकि लिगे रोटीका और वल्नद्दीन गरीव जनताके लिअ कपड़ेका
वन्दोवत्त करनेका दै । जिन दोनों चीज़ॉंका . देवमें दुब्काल है और
अगर लड़ाओी लम्बी चली; तो यह संकट और भी बढ़ जायगा । बादरसे
अन्न-वल्लका आना बन्द हो गया है । धर्निक वर्ग भठे आज जिसकी तंगीको
मदददस न करता हो; परन्त गरीब छोग तो आज भी काफी तंगीमें हैं ।
धघनिक वर्ग गरीवोंकि शोपणसे दी आज अपने आपको जिन्दा रख रहा
है । जिसके सिवाय और कोओी रास्ता झुसके पास नहीं है । तो गरीबेकि
प्रति आज जिस वर्गेका कया धर्म है? कहावत है कि जो जितना बचाता
है, वह सझुतना ही कमाता या पैदा करता है । जिसलिभे जिनको गरीवों
पर दया है, जो शुनके साथ मैक्य साधना चाहते हैं, अुन्हें अपनी
आवश्यकताओं कम करनी चाहिये । यह हम कभी तरीकोंसे कर सकते
हैं | मैं अुनमेंसे कुछ ही का यहाँ ज़िक्र करूँगा !
धमिक वर्गमें प्रमाण या आवश्यकतासे कहीं ज्यादा खाना खाया
और ज़ाया किया जाता है । ेक समय ओेक ही अनाज जिस्तेमाछ
करना चाहिये । चपाती, दाल-भात, दूध-घी, गुढ़ और तेल ये खाद्य
पदार्थ शाक-तरकारी और फलके अुपरान्त आम तीर पर हमारे परोंमें
जिस्तेमाल कित्रे जाते हैं । आरोग्यकी इृष्टिसि यह मे ठीक नहीं है !
जिन छोगोंको दूध, पनीर; जंडे या माँसके रूपमें श्नायुवधक तत्व
मिल जाते हैं, सुनें दालकी बिलकुल ज़रूरत नहीं रहती । गरीब लोगोंको
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