भावि विज्ञान व नवरत्न विधान | Bhavi Vigyan Va Navaratn Vidhan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Bhavi Vigyan Va Navaratn Vidhan by जैन यति रामपाल - Jain Yati Rampal

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about जैन यति रामपाल - Jain Yati Rampal

Add Infomation AboutJain Yati Rampal

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
[७ (१४) श्वेत हाथी पर सवार दोकर नदी किनारे चाँवलों का भोजन करे तो कुछ दिन में राजा हो । (१द) समुद्र को सम में हार्थो से तेरकर पार दोजाय वह कुछ दिनों में राज्य पढची को प्राप्त हो। (१७) तीर्थेकर को निर््य मुनि को और तीर्थ स्थान को देखना बहुत श्रच्छा हैं, आ्ागा पूर्ण देगी, पहिले लिख चुके हैं कि देखी हुई वस्तु का सप्न आना निष्फल होता है किन्तु तीयंकर, मुनि की श्रौर तीथ भ्रूमि का चिंतन करना भी श्रच्छा है यदि स्वप्न श्रावे तो अवश्यमेद लाभ दायक होगा । (१८) हाथी, बेल, सिह, लक्ष्मी देवी फूलों की माला, सूय, ध्वज, कलश, प्सरोवर, समृद्र, देव विमान, रत्न राशी और निर्धुम श्रग्नि यह चोदह स्वप्न तोर्थकर की माता जब तीथेकर का जीव गर्भ में आता है तव देखती है। बड़े भाग्य वाला जीव गर्भ में झाषे तब ऐसे उत्तम स्वप्न देखता है चंक्रवर्ति का जीव जय गर्भ में आता है तब माता ये ही चोद स्वप्न देखती दै। किन्तु स्वच्छ नहीं वासुदेव का जीव जब गर्भ में आावे तब वासुदेव की माता इन चोद सर्नों में से सात स्वप्न




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now