श्री मथुरेश गीता सार संगीत | Shri Mathuresh Geeta Saara Sangeet

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Book Image : श्री मथुरेश गीता सार संगीत  - Shri Mathuresh Geeta Saara Sangeet

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मथुराप्रसाद - Mathura Prasad

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मथुरेश चरणशरण - Mathuresh Charan Sharan

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हरिदासानुदास - Haridasanudas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(रू) होजाना है चूद्धि के नाश से स्वयं नए होजाता हैं ॥ ' राग और द्रप को दुर्कर इन्ट्रिया को बस भें रखने से शान्ति शाप जा इस पे सावधान नहीं थी बुद्धि होने है ओर चुदि बिना भाव नहीं और भाव थिनो घोल्ति कसी, इस लिये सब कामना ओं को छोड जो वे परदा हैं उनी को शास्ति और सुख पिला है ॥ इनि_सांख्य योग नाम ट्रिचीयों अध्याय: ॥ २ ॥ च्व्ध श्र ज बक शक पके कि नए नशडकवशल गए से सेट बन कूल नलनललनललशफटननसलण ॥ तासरा अध्याय ॥ ( गयनो चरवा अथवा हजाज में गाना -असुन पूंछ बुद्धियोग जो कस से बड़ों आप सादों तो ॥ चचन कह क्यों सर साओं सो को कहो श्रेष्ठ जो हो ड् २॥1 दो निएा या जग के साही ज्ञान कसें दोउ जोग कहाई | अतिशियुखदकलसडायनाहाहारवालंअसकहा सता ॥३॥1 ४ अनारभ अर त्याग कस को यासे ठेश कछू न घमे को !। ५ विनाकर्म बिश्रामन दस को प्रकतीवश करते सवकोइ ॥४॥। द-अंग से जोनर कर्म न करते मनसो वेपयन से । चेत धंरते ।। मेध्याचारी ठोक विचरते बृधाजान आय तिन खोड़े ५1! छ-सन अरु ड्वान्द्रन को जो राके कर कस आसक्त न हा [|




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