ग्रामीण हिन्दी | Gramin Hindi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
156
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)परिचय
में किया. गया है । भाषा सर्वे में प्रियसन महोदय
ने इस बोली को “वर्नाक्युलर हिन्दुस्तानी” नाम
दिया है किन खड़ीवोली नाम अधिक अच्छा है ।
कभी कभी न्रजभापा तथा अवधी आदि प्राचीन
साहित्यिक सापाशओं से भेद करने के लिए आधुनिक
साहिंस्यिक हिन्दी को भी खड़ीवोली नाम से पुकारा
जाता है ।* साहित्यिक अर्थ में प्रयुक्त खड़ीवोली शब्द
तथा मापाशाख्र की दृष्टि से प्रयुक्त खड़ीवोली शब्द
१ इस अर्थ में खड़ीबोली का रुच से प्रथम प्रयोग
लल्लूजी लाल ने प्रेमसागर की थरूमिका में किया है । लल्लूजी
' लाल के ये वाक्य खड़ीबोली शब्द के व्यवद्दार पर बहुत
कुछ प्रकाश डालते हैं झ्रतः ज्यों के त्यो नीचे उद्धृत किये
जाते हैं । श्राधुनिक साहित्यिक हिन्दी के आदि रूप का भी
यह उद्धरण झ्रच्छा नमूना दै। लल्लूजी लाल लिखते
हूं;--'एक समें व्यातदेव कृत श्रीमत भागवत के दशमस्कंघ
की कथा को चतुभुज मिश्र ने दोहे चौपाई में ज्रजभाषा
किया । रो पाठशाला के लिये श्री मह्ाराजाघिराज, सकल
गुणनिंधान; पुर्यवान, महाजन मारकुइस वलिजलि
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