मानुषी अंग | Manushi Ang
श्रेणी : आयुर्वेद / Ayurveda, स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
150
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about के. सी. भट्टाचार्य - K. C. Bhattacharya
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पहिला श्रध्याय । वध
लियों के सिर्लने से एक सन्दूक सा बन
जाता है जिसको छाती कहते हैं । छाती
के भीतर वाई ्रार दिल स्थित है जा सदा
धड़कता रहता है । छाती के भीतर दिल
के अतिरिक्त और भी अंग हैं जिनका
चणन' हम झआरो चल कर करेंगे ।
बाँहें धड़ के ऊपरी भाग से दोनों
ओर जुड़ी छुई हैं । इनमें से प्रत्येक के तीन
भाग हैं ऊपरी बाज़, निचला बाज
ओर हाथ । प्रत्येक वाह में ३९ हड्डियों
(आकृति ६ )
आकृति ६ को देखने से ज्ञात होगा
कि बाज का ऊपरो शाग जा एक ही
लम्वी हड्ी से बना है कंधे से कुहनी
तक है । ऊपर का सिरा गाल है जा कंधे
पर की बड़ी चपटी त्रिभुजाकार हड्डी के
प्या्े के सचद्श घर सें जाकर ठीक ठीक
बैठ गया है श्रौर इस प्याले सें सूसली के
सचद्श यह सिरा चारों ओर सुगसता से
घूम सकता है । इस बड़ी त्रिसुजाकार हड्डी
जन्ना
घ्ाकृति -* रीढ़
' १(1) ऊपर क्ले भाग में ७ दृड्डियाजएर (2) बीच के साग
में १२ दृड्डिया--३ (8) निचले साग में ७ हृड्ियां ।
गए कोटों अतियर एव] बढ़ी शांति -- 2३ (10) पिस की थैली ।
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