वीरांगना वीरा | Virangana Veera
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
62
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)६ चोर्गिना चीरा |
दे दनमरामुटनगलममनानक
( ३६ )
जो कार्से बाधा दीन दो फल दीन उसको जानिये,
रण विज्ञ जो रण-विमुख हो कायर बसे प्रभु ! मानिये ।
अतएच सारे शोक पश्चात्ताप फो तज दीजिये,
संग्राम स्थढू जागत प्रभो ! अरि को पराजय कीजिये |
(४० )
चर संचणा तेरी इदय घर अव चला दरबार को,
पर देखना ऐसा न हो मत भूक जाना प्यार को |
कहते हुए इस वाक्य को सर खद्ध को धारण किये,
पहुंचे सपदि दरयार में कारइयेता दारण किये ।
(छह ))
आदेश जकबर का सकल सक्रोध चीरावेश मे;
शाद्यान्त सच सामन्त गण से कद दिया अति त्वेप में !
बीराग्रणी श्री कृष्णसिंद करि श्रव्य जकयर चृत्त को,
कहने लगे सम्नोंध यों दे सान्त्वना नृप चित्त को |
( ४९२ )
उस नीच वर पेशाब अकदर भ्रूषप्टता का फल सभी,
तत्काल देना ही उचित है प्राण-भय निज तज थमी |
कि. |
पेशाय सच्बर क्या अहो ! यदि काशी रण हित चढ़े,
घया प्राण रहते देह में वद एक पय भागे चढ़े ?
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