सरदार वल्लभ भाई पटेल | Sardaar Vallabh Bhai Patal
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
23 MB
कुल पष्ठ :
664
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)युद्ध के पूष ] श्ड
की साफी के लिए सरकार से झनुनय-विनय की, लेकिन आँखों से
हमेशा ही अन्थी अंग्रेजी सरकार घिदेशी होने के कारण देश के
लोगों के कष्टों पर क्यों विचार करने लगी ? उनको तो लगान
मिलना दी चाहिये था । यही बह समय था जबकि स्वदेश थ्ांने पर
सहांत्सा जी ने सबसे . पढ़िलीं बार सत्याग्रह के शस्त्र का' इस्तेसाल
किया। इस असोघ सत्र के द्वारा दक्षिणी अफ्रीका में वे अपना
सिक्का जमा चुके थे । 'अक्रात्त के कारण गुजरात की जनता त्रस्त और,
परेशान हो रही थी ! चंप्रेजों ने उन्हें वहुत पद्चिले से दी निरस्त्र कर
दिया था । अतः इनमें इथियार द्वारा लड़ाई लड़ने की भी सास्थ्य
न थी । अभी तक शुजरांत की जनता ने राजनीतिक हृलचलों में किसी
भी प्रकार का भाग नहीं लिया था; लेकिन वह दक्षिणी अफ्रीका के
विजयी गुजराती नेता सददात्मा गान्धी को अच्छी तरह जानती थी ।
इसके अलावा शुजरात सत्याश्रह की जन्मजात भुसि है झैसे पंजाब
समर की भूसि । सत्याझ्द की उत्पत्ति ही गुजरात से हुई है ।
अतः गुजरात के लोगों के कष्ट-निंवारण के लिये सद्दात्मा
यान्धी से 'सत्याश्रह करने का उपदेश दिया । गुजरात के किसान इसके
लिये फौरन ही तेयार दो गये क्योंकि वे अत्यन्त ही दुःखी थे और
उन कष्टों से छुटकारा पाने के लिये किप्ती सार की खोज दी कर रहे
थे । उन्हें बललभभाई के रूप सें परमार्मा ने नेता भी प्रदान कर दिया!
नेता के मिलते दी बरसों की दुभरी हुई जनता की कष्ट कीं आग सारे
शुजरात में च्याप्त हो गई। सरदार पटेल ने उनका नेतृत्व किया |
हि लिये सो गान्थी को एक सद्दायक की आधश्यकता थी
र पटेल साइव के रूप में वह उनको सिल्त गया । पटेल साहव को
जी या गा झा सम्पकं हा कि उनके महात्मा गान्थी का सम्पक हुआ कि उनकी जिन्दगी ही पलट ..
-उइ- बह दिन देश के लिये बढ़े ही सौभाग्य का दिन था। गान्धी जी
का हर वात में सजाक उड़ाने वाला चेभवसमस्पन्न वेरिस्टर जिप्त दिन
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