अनुरागरस | anuragras
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
882 KB
कुल पष्ठ :
44
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अचुरागरस । . १४
नारायण टिंग संतके गये न होय
बिगार ॥ ज्यों बिन मोल सुगंधिता मिछे
समीप अतार ॥७६॥ ._
ः अथ सतढशण
तजि परअवणुण नीरकूं खीरणुणन
सों प्रीति ॥ हंस संत को सबंदा नारा
यण यह रीति. ॥ ७७ ॥.
तनकमान सनमे नहीं सबसों राख
त प्यार॥ नारायण ता संत पे वार वार
बढ़िह्दार ॥ ७८ ॥
अति कपाठ संतोष इति यगढ
चरम पश्रीत ॥ नारायण ते संत वर
कामढ़ वचन विनात ॥ ७९ ॥
उदासीनजगसा रहें यथा . घान
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