कमला - भजन-सरोवर भाग -१ | Kamla - Bhajan-sarowar Volume - I
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
54
श्रेणी :
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पथ कुषंय सभी फिर आई सीधी राह ने पाई ॥रा ०
'तम से बीनानाथ दया कर करदें बेड़ा पारी ॥रा०॥
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गगना में वोह 'सुन्न दिखावे केहर ब्मौर बन धागा ।
मन तो कदम नहीं घरता सुरती देय न साथत्रह्म ०
स्वासासमुद्र में डबी दृष्ली डगमग९ होयाब्रह्म ०४॥
कमला कौन विध कीजिये तज गये हूँ सब साथ।त्रह्म०
सजन न ॥ दे -
तुम हो नाथ हुमार राभा मोह मूली डगर बतादों।टेका .
भरमत सारी उमर गैंवाई अजहूं डगर से पाई॥रा ०॥
पा करो दीनेन सुखदाई वेग खबर लों आईपरा०।
तुमतो सब के अतरयामी में सुरख नरम छाई ॥रामा०!
कमला न्रमु को शीस नवावे क्यों मनसे विसराई ।रा ०
रामा मोटे मली डगर बतादो ॥ ५ ॥
'मजन न० ॥ है? हे
रामा मेरे केस चले में हारी ॥ टेक ॥
चल २ कबहू से कहती छूटे न माया प्यारीपरा०
सार साख सब छोड़ चली हूं लादी है पाप पिट्रारी ॥
पाप तलाष की लहर गठरिया होगया बोगका मारी॥रा०
कमला विनती करें द्यानिध सनियों देर हमारी
रासा मेरे केसे चलें में ह्वारी ॥ ५ ॥
.... सज्ञन ने ॥ रे मे
सन क्यों ना त हर से मिलतार ॥ टेक
हरके सिखने की राहू सवारों क्यों घर में गलतारे । है
उफएबरफपेररइरएड' व
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