जी॰ सुब्रह्मण्यम अय्यर | G. Subrahmyam Ayyar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अत क्ञोभ का समय प्र के लिए भारी धन देना पड़ता था। भारतीयों को स्वतंत्र रूप से वॉलि- टियर कोरों में भी भर्ती नहीं होने दिया जाता था। उनमें से केवल कुछ हीं को भर्ती किया जाता था। इग्सैड में एक अग्रेज सैनिक पर वर्ष भर में 255 रुपये खर्च आता था। एक बार समुद्र पार करके भारत में प्रवेश करते ही उसके अनुपालन पर 775 रु० वाधिक खर्च हो जाता था। यह पुनर्शिक्षाधीन अर्वाधि भारत के असतोष का शीतकाल था और लॉ डफरिन ने भारत में काग्रेस को राजनीतिक गत्तिविधियों में भाग सेने की सलाह देकर, भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को सचेत कर दिया । 1857 में अग्रेजों से शास्त्रों के बल पर स्वतंत्रता छीन लेने का प्रयास किया. गया और सामत वर्गों, जिन्होंने इसका नेतृत्व किया, को नष्ठ कर दिया गया । नेताओं का एक नया वर्ग पैदा हो गया था, जिसने अप्रेजों से अपनी बुद्धमत्ता से संघर्ष किया । सुब्रह्मण्यम अय्यर जैसे राजनीति के लेखकों ने न्याय की रक्षा तथा. अग्रेजो.. दूवारा स्वदेश-बधुओ के साथ अच्छे बतवि करने के सबंध में लेखनी उठायी। 1892 में दादा भाई नौरोजी के 'हाउस आफ कामस्स” के लिए चुने जाने से स्पष्ठत: यह सिदूध हो गया कि भारतीय दिए गए अवसर को कहीं भी अच्छी तरह निभा सकते थे। यह 'राजनैतिक-मुक्ति के लिए सघष में भारत के लिए एक॑ उत्साहवधंक सिदूध हुई।




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