पद्मावत | Padmavat

Padmavat by मलिक मुहम्मद जायसी - Malik Muhammad Jayasi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अथ नखसिख खंड ॥ १० ॥ .. का सिँगार औ्रीदि चरनउँ राजा । हि क सिं गार ही पद छाजा ॥ प्रथम-हि सीस कसतुरी केसा | वलि वासुकति को झउरु नरेसा |! _ भरे केस वह मालति रानी । विसहर लरहिँ लेहि” अरघानी ॥ : .. पैनी छोरि कारु जो. बारा। सरग पतार होइ अँधिशारा ॥ कोर्बेल कुटिलि केस नग कारे। लहर भरे अुझंग चिसारे ॥ : बेधे' जान मलय-गिरि वासा | सीस चढ़े लोटहि” चहुँ पासा ॥ , घुँघुस्वार अलकरें . विख-भरी । सँंकरई पेम चहहि' गिफूं परी ॥ ' *. झस फेंद-वारि केस बेइ (राजा) परा सीस गिछं फँद । थसट-उ छरी नाग सब उरक केस के चाँद ॥ १०१ ॥ .बरनउँ माँग सीस. उपराही । से दुर छब्र-हि चढा जेहि नाही ॥ पिजु सेँ दुर झस जानउँ दि । उंजिझार पंथ रइनि महँँ किआ ॥ 'केंचन-रेख कसउटी कसी | जनु घन महँँ दावि नि परगसी ॥ सुरु फिरन जन गगन यिसेखी । जुँना माँक सरसुती देखी ॥ . खॉडइं धार रुदिरि जल भरा | करत लेइ बेनी पर धरा ॥ थी तेहि पर पूरि घरी जो मोती । ज्ुना माँक गाँग कई सोती ॥ . _ करवत तथा लॉन्द हो चूरू। महक सी रुहिर लेइ दे से दूरू ॥ कनक दुआदस बानि होइ चह सीहाग वह माँग । - 10 सेवा करहि नखत अउ(तरई) उए गगन जस गाँग ॥ १०२ ॥ .. -




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