पद्मावत | Padmavat
श्रेणी : इतिहास / History, काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9.39 MB
कुल पष्ठ :
424
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अथ नखसिख खंड ॥ १० ॥
.. का सिँगार औ्रीदि चरनउँ राजा । हि क सिं गार ही पद छाजा ॥
प्रथम-हि सीस कसतुरी केसा | वलि वासुकति को झउरु नरेसा |!
_ भरे केस वह मालति रानी । विसहर लरहिँ लेहि” अरघानी ॥
: .. पैनी छोरि कारु जो. बारा। सरग पतार होइ अँधिशारा ॥
कोर्बेल कुटिलि केस नग कारे। लहर भरे अुझंग चिसारे ॥
: बेधे' जान मलय-गिरि वासा | सीस चढ़े लोटहि” चहुँ पासा ॥
, घुँघुस्वार अलकरें . विख-भरी । सँंकरई पेम चहहि' गिफूं परी ॥
' *. झस फेंद-वारि केस बेइ (राजा) परा सीस गिछं फँद ।
थसट-उ छरी नाग सब उरक केस के चाँद ॥ १०१ ॥
.बरनउँ माँग सीस. उपराही । से दुर छब्र-हि चढा जेहि नाही ॥
पिजु सेँ दुर झस जानउँ दि । उंजिझार पंथ रइनि महँँ किआ ॥
'केंचन-रेख कसउटी कसी | जनु घन महँँ दावि नि परगसी ॥
सुरु फिरन जन गगन यिसेखी । जुँना माँक सरसुती देखी ॥
. खॉडइं धार रुदिरि जल भरा | करत लेइ बेनी पर धरा ॥
थी तेहि पर पूरि घरी जो मोती । ज्ुना माँक गाँग कई सोती ॥ .
_ करवत तथा लॉन्द हो चूरू। महक सी रुहिर लेइ दे से दूरू ॥
कनक दुआदस बानि होइ चह सीहाग वह माँग । -
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सेवा करहि नखत अउ(तरई) उए गगन जस गाँग ॥ १०२ ॥ .. -
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