महाराणा का महत्त्व | Maharana Ka Mahattv
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
597 KB
कुल पष्ठ :
34
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about जयशंकर प्रसाद - jayshankar prasad
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सहाराणा का सदच्व
ध्यान कीजिये; वह वनिता है शत्रु की ।
दिल्लीपति का सेवप हो छाया यहाँ
जो रददीमखों कवर का चिर-सित्र है
उसकी ही. परिणीता है यह सुदरी
इसका चन्दी रहना नेतिक दृष्टि से
+ ठीक नदी कया ? जब तक ये सब शांत हो ।
कह तमक कर तब प्रताप ने--''क्या कहा
चनुचित वल से लेना काम सुकम्म है !
इस अवला के बल से होगे. सबल क्या?
रण में टूटे ठाल तुस्हारी जो कभी
तो बचने के लिये शत्लु के. सामने
पीठ करोगे ? नहीं; कसी ऐसा नही;
दृद-प्रतिज्ञ यह इृदव; तुम्हारों ढाल बन
तुम्हे बचावेगा । इसपर भी ध्यान दो
घोर अंधेरे मे उठती जब लहर हो
तुमुल॒घात-ग्रतिघात पवन का हो रद
भीसकाय जलराशि क्षुब्घ हो सासने
कर्णघार-रक्षित दृदू-रदय सुननाव को
User Reviews
No Reviews | Add Yours...