पारसी थियेटर | Parsi Theatre
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
407
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पारसी थियेटर से पूर्व । १
यदि यहू सत्य है कि वर्तमाव अतीत का परिणाम है और भविष्य वर्तमान
का परिणाम होगा, तो मानना पड़ेगा कि पारसी थियेटर का उद्मव मौलिक सूप
में न होकर उसके पहऱे अस्तित्व में [रहनेवाले किसी अन्य थियेटर का परिणाम
होना चाहिए । और यद्द घारणा सत्य है । पारसी थियेटर से पूर्व यम्बई में 'वम्वई
थियेटर के नाम से एक थियेटर के अस्तित्व का प्रमाण सन् १७७६ ई० में
प्राप्त होता है ।
बम्वई यियेटर के अस्तित्व का सबसे पहला प्रमाण श्री जान फोडस का एफ
उल्लेख है, जिसमें उनका कहना है, “जब मैने वम्वई छोड़ी, उस समय लोवा-मवन
सामान्यतया सुन्दर की अपेक्षा उपयोगी अधिक थे । इन भवनों में प्रधान रूप से
सम्मिलित हैं--राजमवन, कस्टम-मवन, मेरीन-मवन, फ़ौजी बारिकें, टकसाठ,
कोप-मवन, थियेटर तथा कारागार 1”
श्री फ़ोबंस ईस्ट इडिया कम्पनी में नोकर थे और सन् १७८४ में उन्होने
विश्राम लिया, अतंणुव उनके विवरण से सन् १७७६ में वम्बई थियेटर का
अस्तित्व असदिग्च है । हि
एक अन्य प्रमाण श्री सिलबनं का भी है । उन्होंने भी अपने संस्मरणों में
बम्नई थियेटर के अस्तित्व का उल्लेख किया है। उनका कथन है, “प्रीन के चारों
और अनेक सुनिमित एवं विशाल सुन्दर गृह है--राजमवन एवं गिरजाघर जो
अत्यधिक स्वच्छ, बड़ा और हवादार घर है। गिरजाघर के द्वार के वाईं.ओर यह
एक दूसरे के अति निकट हैं । गिरने के द्वार के दाहिनी ओर थाज़ार है जिसमें बड़ी
पीड़ रहती है और जो अति ठोकप्रिय है तथा जहाँ पर प्रधानतया देशी व्यापारी
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