दरोगा दफ्तर | Daroga Daftar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
0.68 MB
कुल पष्ठ :
77
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about द्वारिका दास मेहता - Dwarika Daas Mehta
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अद् १] दाराका अघ:पतन । रथ
नामी
कर लो थी, घद्द जोवनरखांको घटनासें प्रमाधित इोती है ।
चीवनखां भाज्ञा न मानने और विद्रोइके अपराधमें सम्तराट-
की छोर दण्डसे दथ्डित हुआ । सम्दाट्मे इव्म
पेरों तले कुचनकर इस इतभाग्यका प्राण
नाथ करो ।” जोदनखां सम्दाट्को आज्ञानुमार रस्सियोंसे
नकड़ा लमीन पर पढ़ा था। मद्दावत हाधोकों
करमेपर उदात दी था, इसी समय दाराने सम्दाट्से करजीड़ कर
शोवनखांको प्राथभिक्ता मांगी--दाराकी प्रार्थना उसो समय
इुई। जोदनखां छोड़ दिया गया । $
अनेक समय दर्वारमें प्रकाश्य भावसे सम्नाट दाराका
परामर्श लेकर राज-कार्ययका निर्वाइ करते अर कभी कभी
दारा स्वाधीन भावसे अपनी इच्छाओे अनुमार कार्य कर स्वलि-
खित भात्ना-पत्र पर सम्दाट्को “सालमोइर” छाप देते ।
दाराके इस-प्रकारके ाज्ञा-पत्र सम्दाटक आतक्ञा-पत्के
रुपमे हो सर्वमान्य होते । शइजदांके ऐसा कनिका प्रधान
कारण यद्दी था, कि सर्पसाधारण दाराकों अपना भावी सम्दाट
मम ।
विदारके सम्दन्ध्में दारा सम्वाद अकदरके
चदादसम्दी थे।. हिन्दू, सुमलमाग, कस्तान प्रगति मव
सातिके धाब्सिक चालोचना वे निरपेच भावसे किया
१. भिषतूति झाम्टरकके विदाररी इसी सरल कृत हार
बर्थ दाए औौरह काम लाएं बडे !
>>.
User Reviews
No Reviews | Add Yours...