धाँसू | Dhansu
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
128
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जनन्तसत्र / १७
हूं ठीक है । बन्द करा डासो, अच्छा है बंठे-बेठें खाने को मिलेगा, पर
वे बन्द नहीं कराते । कह हैं तुम्हे शहर से बाहर निकाल दिया जायेगा 1
मैंने कहा, भइया जहाँ पढ़ने जाता हूँ बह स्कूल शहर से बाहर है। वे कहते हैं
बाहर निकालकर तुम्हारी करतूतों को कोन याद रखेगा” “तुम्हें यही रख
कर बिसा जायेया । मैंने कहा, भइया मैं खुद वाहर चला जाता पर यहनौकरी
इसी शहर की है । तबादले भी साले इसी चौहही के भ्न्दर-ग्रन्दर होते
हैं। वे कहते हैं, यह राव तो ऊपरी इन्तज्ञाम है, तुम्हारी नौकरी तो कब की
छूट चुकी । पागलों को कोई नौकरी पर रखता है ! शिक्षा सुपरडेंट कहता
है--'पार, लोग तुम्हें पागल कहते है पर तुम्हारे स्कूल का रिजह्ट हमेशा
शत-प्रतिशत रहता है झगर मेरा दिमाग खराब है तो वे मुग्रायनें में
में मरी ग्तती क्यो नहीं मिकाल पाते ! भ्रसल में सब मिले है । शिक्षा
सुपरडंट उनका 'है । प्रभारी अधिकारी भी उन्हीं वा श्रादसी है । उनका
जो चपरासी भरा वहें श्रा गया है ग्रव हमारे स्कूल में, सारे किस्से बताता
है। क्ितिज,बावू म्यूनिस्पेलिटी के मेम्वर थे शरीर शिक्षा के इन्वार्ज थे ।
खूब पंसा कमाया थी । जब बोर्ड टूट गया तो सारी फाइलें प्रभारी अधि
कारी को मालूम हो गयी । क्षितिज बादू भ्रब मस्खा लगाते रहते हैं । मे
नहीं चाहते कि पोलें खु्लें भ्रौर गला चुनाव गड़बड़ापे । भई पूरा का
पूस दल है उनका, लगा हुभा है । भारत के जितने सेंगढ़े-्लूने हैं सब
मुझे दिखाये जाते है । मेरे स्कूल के सामने फौजदारी करा दी जाती है।
मैं तो स्कूल बन्द करा देता हूँ । मेरा सहायक कहता है कि झाप हेडमास्टर
हैं, जब चाहें स्कूल बन्द करा सकते हैं । वह चाहता है कि इसी तरह
मेरी शिकायत हो जाये भौर मैं अलग कर दिया जाऊं, ताकि वह हेड हो
सके |
,. वे कहते हैं, तुस' मौका चूक गये, साले को तीन चांस दिये, किसी
चार उंगली से ही इशारा कर देता 1 नत्थू कहता है--'मास्टर साहब,
भाप दिल्ली चले जाइए मैं क्यो जाऊँ दिल्ली, जब दिल्ली से ही
यहाँ लोग ग्राति हैं ! पिछले महीने हो जाने कितने मन्यी झामे ! बडी-बड़ी
मीदिगें करते हैं, लाउडस्पीकर पर बोलते हैं । महंगाई हटाने के लिए
जनता का साथ चाहते हैं! मैं तो कितना चाहता हूं कि सेरा कोई साम
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