पद्म - पुष्प की अमर सौरभ | padm Pushp Ki Amar Saurabh

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padm Pushp Ki Amar Saurabh by सुयश मुनि सौरभ - Suyash Muni Saurabh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[कि १४क केपघनपुष्कीअमरसौरमक | औ १४ कै ' के पद्य-पुष्प की अमर सौरम के -जिस प्रकार मानव लोक में चक्रवर्ती, देवलोक में इन्द्र, पशुओं में सिंह, ब्रतों में प्रशम भाव और पर्वतों में स्वर्णगिरि मेरु प्रधान है। उसी प्रकार संसार के सब जन्मों में मनुष्य-जन्म सर्वश्रेष्ठ है। इस संसार में मनुष्य से श्रेष्ठ कोई भी नहीं है। मनुष्य-शरीर पाकर मानव ज्ञान और विवेक के सहारे मानवता के मार्ग पर बढ़ता है। जब जीवन में एक बार मानवता का फूल खिल जाता है, तब मानवता के फूल की महक से संसार का कोना-कोना सुगन्धित हो जाता है। मानवता से महकते जीवन का संसार में सर्वत्र स्वागत होता है। “दुर्लभ भारते जन्म।”' -इस भारत-भूमि में मनुष्य का जनम दुर्लभ है।'' गोस्वामी तुलसीदास जी ने *रामचरितमानस' में कहा- बड़े भाग मानुष तन पावा। सुर दुर्लभ सद्यन्थन गावा॥”' -यह मनुष्य-जन्म बड़े पुण्योदय से प्राप्त होता है। 'विष्णु पुराण' में कहा गया है- “'गायन्ति देवा किल गीतकानि, धन्यास्तु ते भारतभूमि: भागे। स्वगर्पिवर्गात्पिदमार्गभूते, भवन्ति भूमः पुरुष: सुस्त्वात्‌॥”' -देवलोक में वैठे हुए देवता भी गाते हैं कि धन्य हैं वे लोग जिन्होंने भारत जैसी आर्य भूमि, पवित्र भूमि, महानू भूमि में जन्म लिया है। क्योंकि आर्य भूमि से ही स्वर्ग और अपवर्ग-मोक्ष की साधना की जाती है। हम न जाने कब देव, देवता से इन्सान बनेंगे, कव हम अपने वन्धनों को तोड़कर स्वतन्त्र-मुक्त हो सकेंगे। मानव-जीवन दुर्लभ है। आगमों में श्री उत्तराध्ययनसूत्र में, वौद्धों के धम्मपद में, शंकराचार्य के विवेक चूड़ामणि में, ईसाइयों के बाइविल में, हिन्दुओं के रामायण में तथा मुसलमानों के कुरानशरीफ में, सिकखों के गुरुग्रन्थ साहच में, इन सभी शास्त्रों एवं ग्रन्थों में मानव-जन्म की महत्त्वपूर्ण महिमा गाई गई है। इस संसार में ८४ लाख योनियाँ हैं और उन सव में श्रेष्ठ वताई गई है, मनुष्य योनि। परन्तु जब मनुष्य-जीवन प्राप्त करके भी मनुष्यत्व ऐसे दूर रहे तो ऐसे जीवन को क्‍या कहा जाय? उदाहरण-एक़ बार यूनान का दार्शनिक दोपहर के बारह बजे जलती लालटेन को हाथ में लेकर बाजारों में घूम रहा था। लोगों ने देखा तो वड़ा आश्चर्य हुआ।




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