आठवें दशक के बाद का हिन्दी कथा - साहित्य | Athaven Dasak Ke Bad Ka Hindi - Sahity
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
379 MB
कुल पष्ठ :
498
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कथाएँ सुनाई जाने लर्गी जिससे परिवार में पीढ़ियों के बीच का अंतर समाप्त हुआ। दूसरी ओर
चौपालों मे सामूहिक रूप श्वे किस्से, कहानियों को सुनने-सुनाने की प्रथा ने सामाजिकता की
भावना को बल दिया। साथ ही समाज में सौहार्द, भाईचारे, सांमूहिक उत्तरदायित्व और आपसी
समन्वय जेसी उदात्त भावनाएँ भी विकसित होती गई।
लोक परम्पराओं के विकास, सांस्कृतिक सुदृढ़ीकरण और लोककथाओं के मध्य समानुपातिक
सम्बन्ध है। लोक परम्पराओं से लोककथाएँ उपजती हैं और लोककथाओं का सहारा पाकर लोक
परम्पराएँ विकसित होती हैं। इसी प्रकार सांस्कृतिक सुदृढ़ीकरण व समृद्धि और लोककथाओं के
मध्य अन्तर्सम्बन्ध होते हैं। संस्कृति, लोक परम्पराएँ और लोककथाएँ, किंवदंतियाँ, किस्से,
कहानियाँ आदि उस समाज की वैचारिक प्रखरता एवं विकास का स्तर भी निर्धारित करती हैं ।
युगीन परिवेश और सामाजिक चेतना के अनुरूप ही लोककथाएँ, किस्से आदि भी परिवर्तित और
संवद्धित होते रहते हैं । सांस्कृतिक और सामाजिक विकास के साथ कथाओं, किस्सों, कहानियों का
न केवल स्वरूप बदलता गया, बल्कि लोक जीवन के अनुरूप लोककथाओं के विविध स्वरूप बनते
गए। लोककथाओं के स्वरूप, विषय और उपयोगिता के आधार पर विभिन्न विद्वानों द्वारा इनका
वर्गीकरण किया गया है। भारतवर्ष की लगभग सभी भाषाओं और गोलियों में प्रचलित
लोककथाओं का प्रामाणिक वर्गीकरण यद्यपि प्रकाश में नहीं आया है तथापि डॉ. कृष्णदेव उपाध्याय
द्वारा किये गये वर्गीकरण को. अपेक्षाकृत तकंसंगत और व्यवहारिक माना जाता है। इसी के
अनुरूप लोककथाओं को वर्गीकृत करते हुए विस्तृत अध्ययन निम्न बिन्दुओं के अन्तर्गत अपेक्षित
है-
1) उपदेश कथा
2) व्रत कथा
3) प्रेम कथा
4
)
)
)
) मनोरंजन कथा
) सामाजिक कथा
)
. 16) पौराणिक कथा
|
|
|
|
मं का उद्देश्य नीति की या हित की बात बताना होता है। अशिक्षा के
साधनों के अभाव की स्थिति में ज्ञान की, नीति की व हित की तमाम बातें बताने
्
User Reviews
No Reviews | Add Yours...