मानिक बिलास | maanik bilas

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maanik bilas  by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१5 नक कौन हमारा हो ॥ जाकल० २ ॥ इस अभ्यास किये पावत हैं परमानंद अपारा हो । मानिक ये ही सार जानिके की जे बा- रंबारा हो । जाकुद० ॥ ३॥ १५ पदु-रःग समदीटी सुधथिर चित्त कार अहनिशि निश्मुय की जे येम विचारा हो ॥ टेक ॥ में चित झान रुप है मेसो पर जीव निर- घारा हो ॥ सुधिर० ९0 बम भव कारण दुख बंधन सम संवर है सुखकारो हां । चिर चिभावता भरण निजरा सिद्ध स्वरूप ह- मारा हो ॥ सुधिर० २। घनि घनि जनजिन यह चिचार क्रि महा सोह निरयारा हो 1 तिनके चरण कमल प्रति मानिक युगल पाणि शिर धारा हो ॥ सुधिर० चर




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