सरल नित्यपाठ संग्रह | Saralanityapath Sangrah
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
172
श्रेणी :
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No Information available about कस्तूरचन्दजी छावड़ा 'विशारद'-Kasturchandji Chhawada 'Vishaarad'
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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देव पद करों प्रनाम ॥ ५ ॥ गरम अगाऊ धन-
'पति झाय । करी नगर सोभा झधिकाय॥ वरखे
रतन पंचद्श मास । नमों पद्म प्रभु सुखकी
रास ॥ ६॥ इन्द्र फर्निंद्र नरिन्द्र त्रिकाल । बानी
सुनि २ होहिं' खुस्याल ॥ चारह सभा ज्ञानदा-
तार । नमों सुपारसनाथ निद्दार ॥ ७ ॥ सुगुन
छियालिस हें तुम माहिं । दोप अठारह कोऊ
नाहिं ॥ मोह महातमनाशुक दीप । समों चंद
अ्रमु राख समीप ॥ ८ ॥ वारह विध तप करम
विचास । तेरह भेद चरित परकास)। निज झनिं
भवि इच्छकदान । चन्दों पहुपदन्त सन
सान ॥ ६॥ भधि सुखदाय सुरगतें आय ।
दसबिध घ्म क्यों जिनराय ॥ आप समाद
सबनि सुखदेह । वन्दों सीतल धरि मन नेह ॥
१० ॥ समता सुधाकोपविपनाश । द्वादशांगचानी
परकास ॥ चारि संघ श्रानन्ददातार । नमों
'खिझंस जिनेसुर सार ॥११॥ रतनत्रय सिरमुकुट
विशाल । शो कंठ सुगुन म्निंमाल ॥ मुकत-
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