सफाई और तुन्दुरुस्ती | Safai Aur Tandurusti

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Safai Aur Tandurusti by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१४. ) रह तानी हवा उस कृदर वहां न. प्रहुंच सक्रेगी । खुलासा यह कि मक्रान में आदममियां की भीड़ न रहनी चाहिये ॥ सरकारी मकानों मसलन बारकां ओर जेलखानें में हर यक्र आदमी के रहने क्षे निये जितनी जगह को ज़रूरत हे वह ख़ब सोच समफ कर मुकरए की गई हे । इस में हवा की गुंजाइश घनात्मक माप से यानी केाठरी को चाड़ाई के उस की लम्बाई ओर उंचाई के साथ गना करने से जानी जा सकती है, जेसे अगर केाई काठरो १० फट चेडी ९१० पाट लम्बा ओर १० हो फट ऊंचो है ते। उस में १० >६ १० >६१० यानी १००० घन फट हवा हागी | हर एक कंदो के ६४८ घन फट दिये जाते हैं । यह बात उस मकान के फ़श या जमीन को ऊपरी सतह को माप से भी दयाफत हा सकती है, मसलन जा मकान १० फाट लम्बा १० फट चाडा हा उस में १०० बे फाट जगह दागी । देवी सिपाहियोां को धर बग फट जमीन दो लाती है त्रार कदियां को 5 नग॑ फट । सबब यह है किकदियां के बारकां की छते आस देखो मकानों से बहुत ऊंचो ह्ाती है तार उन में जंगले भी हाते है जिन से दृवा की आमद रफ़्त बहुत अच्छी तरह हाती रहती हे । मामली कार- रवाइयों के वास्ते ऊपरो सतह को बगात्मक माप काफी है। अगर ममकिन है ते। हर रक्ष आदमी के वास्ते ४८ वगे फट चाहिये यानी इस कदर जमीन जा आठ फट लम्बों आर छः: फट चाडाइ है ओर केठरी की दोवार में ऊपर की तरफ़ खिडकियां ड्नी चाहिये ताकि सांस की गन्दी हवा उन से निकल जाया करे क्याके अकसर मासिमों में सांस में से निकली हुई हवा बनिसुबत इदे गिदे को दृवा के गमे छाती हे श्रार दसों




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