हरिवंश राय बच्चन के काव्य में प्रेम की अभिव्यंजना का स्वरूप | Harivansh Ray Bachchan Ke Kavya Prem Ki Abhivyanjana Ka Swaroop
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20 MB
कुल पष्ठ :
304
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about अक्षय कुमार श्रीवास्तव - Akshay Kumar Shrivastav
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कहानीकार पर कवि की विजय :
इन वर्षों में बच्चन कहानी और कविता दोनों लिखते रहे वास्तव में
वे स्वर कहानीकार बनना चाहते थे। इसी सन्दर्भ में कहानियों का एक संग्रह तैयार
किया और हिन्दुस्तान अकादमी को प्रकाशनार्थ भेजा परन्तु वह अस्वीकृत होकर वापस
आ गया। निराशा में कहानियाँ फाड़ डाली और मात्र कविता की दिशा में ही प्रवृत्त हुए।
1932 में पहला काव्य संत्रह तेरा हार के प्रकाशन से कवि को और प्रोत्साहन मिला।
पत्र-पत्रिकाओं में तेरा हार - की आलोचना छपी। प्रताप ने लिखा कविताएँ उत्तम
भावों से परिपूरित है। वीणा ने लिखा- बच्चन उन छिपे हुए सुकवियों और सुलेखकों
में है जिनकी प्रतिभा का फूल खिलकर भी अपने आपमें छिपा रहना चाहता है।
प्रारम्भिक रचनाएं भाग 1-2 कवि की विवशता की अभिव्यक्ति थी।
वे कविताएं नहीं थी, वे कविता से कुछ बड़ी चीज थी, वे जीवन थी।” अपने कवि
होने का बढ़ता एहसास- भाग्य पटल पर विधि ने लिख दी कवि की जटिल कहानी।”
कवि को अपने गीतों के प्रति सहज अनुराग की ओर ले गया। एक संघषेरत मानव
जब सहज प्रतिभा सम्पन्न कवि बनने की प्रारम्भिक प्रक्रिया से गुजरता है तो उसकी
जीवनगत परिस्थितियाँ और मन:स्थितियां कैसे काव्य बन जाती है, इसका सीधा सच्चा
नि्दर्शन प्रारम्भिक रचनाओं से मिल जाता है।
खैयाम का खुमार :
विश्वविद्यालय छोड़ने के बाद कवि के जीवन में जो संघर्ष प्रारम्भ हुआ
था और इस बीच वह जिस तरह के अकेलेपन और मानसिक - शारीरिक अतृप्ति से
जूझ रहे थे, रूबाइयतउमर खैयाम उनके प्राणों की पुकार बन बैठी। एक-एक रूबाई
से उनका हृदय सहज ही द्रवित और परिप्लावित होने लगा और भावनाओं के इसी
वकापयाकिकिविकिििविधधिवावविििखििक्रि्रि्रििि्िताष या
1 बच्चन: क्या भूलूँ क्या याद करूँ , पू०-218
22 बच्चन : प्रारम्भिक रचनाएँ, बच्चन रचनावली-3, पृू०- 554
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