अशोक हिंदी अनुवाद | Ashok Hindi Anuwad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अध्याय १ अशोक पर उसका श्ारभ्मिक जीवन भारत मे द्यायद ही कोई शिक्षित व्यक्ति ऐसा हो जिसने श्रद्नोक और उसके णिलालेखो का नाम न सुना हो । हर कोई जानता है कि अ्रद्ञोक एक मौर्य वच्च का नरेण, श्रौर चन्द्रयुप्त का पोता था । ग्रीक लेखकों ने चन्द्रगुप्त को संड्रेकोट्टोस नाम से याद किया है श्र वह कुछ समय तक सिकन्दर महानू का समकालीन था । यह भी सब को पता है कि इस के शिलालेख भारत भर मे पाये जाते हैं । पर सभव है कि यह बात सबको न मालूम हो कि उन ठदिलालेखो पर क्‍या लिखा है श्रौर उनसे उस मौर्य राजा का क्या विवरण प्राप्त' होता है । कुछ ऐसे वौद्ध ग्रन्थ श्रवदय हूँ जिनमे उसके जीवन म्ौर कार्य का वृत्तान्त मिलता है, पर उनकी विर्वसनीयता पर सन्देह किया गया है, जो उचित ही है । उनमे बहुत सी कथाएँ दी गयी हैं जिनमे उसे पहले कालाशोक, श्रर्थात्‌ काले श्रद्योक, के रूप मे, श्रौर उसके वौद्ध हो जाने के वाद धर्माशोक, श्रर्थात्‌ पवित्र श्रद्योक, के रूप में चित्रित किया गया है । क्योकि इन ग्रन्थो का एक ध्येय बौद्ध धर्म की प्रशसा करना है श्रौर उसके लिए वे यह बताते हैं कि बौद्ध धर्में ने को किस तरह दानव से देवता बना दिया, इसलिए उनके विवरण की सत्यता के वारे में स्वभावतः मन मे सन्देह पैदा हो जाता है। पर उसके शिलालेखीय स्मारको के बारे में यह बात नही है--




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