नासिकेतोपाख्यान | Nasiketopakhyan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
30 MB
कुल पष्ठ :
71
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(८) # नासिकेत-भाषा #
शुद रतः 25१2:द५
हद लि
2. १५३५३९११३६ की
ननेलललललललललललिकलफिटॉलिरलनिलिलललललवायकपिनियकनिययकिक कि यामी ही
| इनकी छौँह न पावईुँ देखन # इनते नर्कछू चहुर विशेषन ॥ |
सुनत वचन भइ विकल सहेली क सूखि गई दाघी जबु बेली ॥ ||
| महिपी भवन गई तब सोई % वंदि चरण पद गहि बहु रोई॥ |
। दोहा-तब् रानी कह चकितहि, कहु कन्या निज बात ॥ |
|. खेद खिन्न छवि छीन मुख,कस तबहदयकँंपात॥८॥ |
| चौ ०सुनत वचन बोली करजोरी # विनती बहुविधि कौन बहोरी॥ ||
कहेहु अभय जो पावहुँ माता के तो निज सकलसुनावहुँबाता॥ ||
| रानी कहेहु अभय तोहिं दीना के भाषु यथारथ सब छल हीना॥ |
| सुनत वचन करि विनय बहोरी ## सूख वदन बोली कर जौरी ॥ |
| सुनिय मातु कहि जात सुनादीं # अति अचरज सुनि रोम उठाहीं |
देव दूचुज गंघधव तमीचर # यक्ष नाग चारण विद्याचर ॥ |
1 इनकी गति नहिं मंदिर जाके # कहियमजुजकेहि विधितेहिताके |
| बाहिर. राजसुभट बढुतेरे क भीतर कन्या लाखक नेरे ॥
| दोहा-सतमहलाविचकुमरितव, रदतिसखिनसैंगनित्य |
|... तदपि देव वद्च गर्भके, चिह्न देखियत सत्य॥९॥ |
। चौ०सुनत वचन कन्याके रानी क सूित सूमि गिरी अदुलानी॥ |
1 विकल विहाल विलोकि सददेली # पवन कीन जंघा शिर मेली ॥
| बहुत जतन कारि मूछां जागी क बहुविधि शोच करनपुनिलागी |
1 कन्यहि कीनबिदा तब रानी # आपु गई रघुतट अकुलानी॥ |
| चरण वेदि बहु विनय सुनाई क मांगी अभय रही शिर नाई ॥
| कहा भूप मन तजहु गलानी के दीन अभय सांची कहुरानी॥ |
| सुनत रुदन करे वचन उचारा क लखा भूप कु भयडड बिगारा॥ |
.. | कहेउ राउ पुनि कहसि न वाता क बोली तवभयकंपित गाता ॥ ||
| दोहा-चन्द्रवती राउर सुता, कुछ कक मइ सोइ ॥. |
।..... देव अजाने गम तेहिं,मा यह अचरज होइ॥१०॥ |
| चो सुनतवचननृपवडु दुखमाना # भयो वाम विधि में मन जाना |
|| हो पापिन कत कौन कुकरमा क# मेटि वेदपथ तजि निजघरमा॥ ||
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