भारतीय अर्थशास्त्र | Bhaaratiya Arthashaastra

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Bhaaratiya Arthashaastra by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय प्रवेश द प्रयुक्त नही होते । परन्तु इन शब्दों से यह /अथे नहीं लिये जाते । वास्तव में भारतीय अथंशास्त्र का अथे इस बात का व्ध्ययन है कि भारतवर्ष की विशेष परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए अर्थशास्त्र के नियम किन परिवतेनों सहित लागू होते हैं । यह भारत की आर्थिक समस्याश्यों का श्रध्ययन है । इस शाख्त्र में हम भारत की आर्थिक उलभनों का अन्वेषण करते हैं। हम इस बात की खोज करते हैं कि इस देश के लोगों को किन २ दार्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हे और किस प्रकार इन को दूर करके देश की आर्थिक दशा को सुधारा जा सकता है. । भारतवर्ष एक. ऐसा देश है जो पूरा उन्नतिशील भी नहीं है और न ही उसी पुराने स्तर पर है, परन्तु अब यह परिवतेन के बीच है। यहां की आर्थिक समस्यायें और देशों की समस्याओं से सबधा भिन्न हैं। भारत की सामाजिक संस्थाओं, यहां की छूत-छात, धर्म की सिन्नता और उत्तराधिकारी नियमों का आर्थिक समस्याओं पर बहुत प्रभाव पड़ा है और फल यह है कि जटिलता में समस्याएं बद्ध हो गई हैं । भारत का जलवायु और अन्य प्राकृतिक बातों से भी लोगों का आधिक जीवन प्रभावित हुआ है। इस देश की समस्याएं विचित्र हैं। इन समस्याओं का पूरा रूप से अध्ययन हीं इस शास्त्र का यथाथे उद्देश्य है। भारतीय अधथेशास्त्र का अध्ययन प्रत्येक भारतवासी के लिये ावश्यक है। कोई भी मनुष्य पूर्ण रूप से शिक्षित नहीं कहा जा सकता जब तक कि वह अपने देश की आर्थिक समस्याओं को भली भाँति नहीं जानता हो। भारतवर्ष की 'छार्थिक समस्‍यायें जटित हैं । उनके श्ष्ययन से हमारी मानसिक शक्ति भी बढ़ती है । आजकल जो समस्‍यायें हमारे समाने हैं उनके




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