बीच का रास्ता | Beech Ka Rasta
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
121
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(६ २४)
उसकी /छावहेलना न. कर सवी । कुछ क्षणों के क्ंसगं से उसके
स्वभाष को में जान चुकी थी मुके विश्वास हो गया कि उसका
चरित्र बुरा नहीं हे । वह मुमसे मित्रता स्थापित करना चाहता था
जैसा कि उसके व्यवद्दार से प्रतीत होता था और उस जैसे
प्रतिष्ठित व्यक्ति की उपेक्षा करना सरल भी नहीं था ।
' नयुक्के कोइ श्रापत्ति नहीं है ।” मैंने मुस्करा कर उत्तर दिया ।
'पघन्यवाद,” प्रसन्न होकर बह बाला-'ब शाप शीघ्र
कपड़े बदलें ।
सम्मति सूचक सिर हिलाकर मैंने उसे नमस्ते किया श्ौर
फिर घर की शोर चल पड़ी । द्वार पर मुड़ कर देखा यह तब भी
मरी ही श्रोर देख रहा था । उसने अपने हाथ की रुमाल
हिलाई श्रौर तब क्षण भर में उसकी रोल्स रायल आँखों से
ग्रोमल हो गई ।
छ्छे छह
मेरे भींगे कपड़े देख कर माँ ने बढ़बढ़ाना प्रारम्भ किया
किन्तु बिना कुछ उत्तर दिये में अपने कमरे में जाकर कपड़े
बदलने लगी ।
खड्लार मेज पर रवि की मुस्कराती हुई तस्वीर थी। हैं. रवि
को प्रम करती थी किन्तु निधन रवि मेरी एक भी महात्वाकांक्षा
पूरी करने में झसमथ था झोर अमरनाथ ? काश ! वह अमरनाथ
की ही भाँति धनी होता ।
छह हे ्ि
एक ही सप्ताह में बैरिस्टर श्रौर दम में 'अत्यन्त घनिषता हो
गई हम साथ काफी हाउस जाते, सिनिमा देखते श्रौर कभी-कभी
पीन होटेल में भोजन भी करते ।
और रवि ? बह मुझे उस सन्ध्या के बाद नहीं मिला 'और न मैंने
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