गांधी - अभिनन्दन - ग्रंथ | Gandhi - Aabhinandan - Granth
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
26 MB
कुल पष्ठ :
346
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about सर्वपल्ली राधाकृष्णन - Sarvpalli Radhakrishnan
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दो शब्द
(पहला संस्करण)
'सस्ता साहित्य मंडल के इस निमन्त्रण को स्वीकार करते मु खुशी होती
है कि 'गांधी-अभिनन्दन-ग्रंथ' के हिन्दी-संस्करण के लिए प्रस्तावना-रूप में थोड़ा-सा
कुछ लिख दूँ । अंग्रेजी-संस्करण की प्रस्तावना मेंने जब लिखी थी, तबसे यूरोप
युद्ध-संकट में पड़ा हुआ है । अभी तो वह आरम्भिक अवस्था में ही है । निःदास्त्र
जनता का नुशंस ध्वंस, खुले शहरों पर बम-वर्षा, निहत्थे स्त्री-बच्चों का कत्ल
और संगठित त्रास, इनसे प्रकट है कि आज-दिन की सभ्यता ढह रही है । अगर निर्मम
बर्बरता के इस दौर को रुकना है तो मनुष्यजाति को वर्गाधिकार और राष्ट्र-शासन
के पुराने नारों और मुहावरों को छोड़ना होगा और उन मूल्यों की बुनियाद लेकर
खड़े होना होगा, जो अपनी' प्रकृति में न राष्ट्रीय हें, न अन्तर्राष्ट्रीय ; बल्कि विश्व-
जनीन हैं । हमारी राजनेतिक धारणाएं और आिक विचार दुनिया की उस नई
हालत के साथ खतरनाक तौर पर अनमेल ह जितकी मांग है कि हम अपने को
विद्व-कुटुम्ब के सदस्य के रूप में मानें । मानवजाति को सिरे से एक नई तालीम
दी जाय और मानव-आत्मा का नया जागरण हो, तभी कुछ आशा है । महात्मा गांधी
ऐसे पुनर्जागरण के एक ही साथ विधाता और प्रतीक हें ।
२९ - ९-३९ --स. राधाकृष्णन
User Reviews
No Reviews | Add Yours...