हिन्दुस्तान की कहानी | Hindustan Ki Kahaani
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
68 MB
कुल पष्ठ :
749
श्रेणी :
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पंडित जवाहरलाल नेहरू - Pandit Jawaharlal Nehru
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रामचंद्र टंडन - Ramchandra Tandan
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)११६
अहमदनगर का 'क्रिला
१: घीस महीने
भ्रहमदनगर का किला : तेरह श्रप्रेल : उन्नीस सौ चवालीस.
वीस महीने से ज्यादा हो गए कि हम लोग यहां लाए गए : यह बीस
महीने से ज़्यादा मेरी नवीं कद की मुददत के हैं । हमारे यहां पहुँचने पर, श्रंधि-
पाले श्रासमान में भिलमिलाते हुए दूज के नये चाँद ने हमारा स्वागत किया ।
बढ़ती हुई चंद्रकला के साथ उजाला पखवारा शुरू हो गया था । तब से बराबर
नये चाँद का दर्शन मुझे इस बात की याद दिलाता रहा हैँ कि मेरी कद का
एक महीना श्रौर बीता । यही बात मेरी पिछली जेल-यात्रा में हुई थी, जो कि
दीवाली के दीपोत्सव से ठीक वाद वाले दूज के चाँद के साथ शुरू हुई थी । चाँद,
जो कि जेल में हमेशा मेरा संगी रहा है, नजदीकी परिचय के कारण मुझसे
प्रौर भी हिल-मिल गया है । यह मुभते याद दिलाता है दुनिया के सौंदर्य की,
जिंदगी के ज्वार-भाटे की, प्रौर इस बात की कि भ्रँधेरे के बाद उजाला श्राता
है; मृत्यु श्रौर पुनर्जीवन, एक-दूसरे के बाद, भ्रनंत क्रम से चलते रहते हैं । सदा
बदलते रहते श्रौर फिर भी सदा एक-से इस चाँद को मेंने ग्रनेक अ्रवस्थात्रों में,
प्रनेक कलाओ्ों के साथ देखा है--संध्या के समय, रात के मौन घंटों में, जब कि
छाया सघन हो जाती है, श्रौर उस वक्त जब कि उषाकाल की मंद समीर श्रौर
चहक श्राने वाले दिन की सुचना लाते..हे । दिन और महीनों के गिनने में चाँद
कितना मददगार होता है, क्योंकि चाँद का रूप श्रौर श्राकार' (वह दिखाई
पड़ता हो तो), महीने की तिथि बहुत कुछ ठीक-ठीक बता देते हें । वह एक
ग्रासान जंत्री हे--श्रग्चें इसे समय-समय पर सुधारते रहने की जरूरत है--
ध्रौर खेत में काम करने वाले किसान के लिए तो दिनों के जाने श्रौर ्रमध:
रितुझों के बदलने की सूचना - देनेवाली सब से ज्यादा सुभीते की जंत्री है ।
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