श्री सूयगडांग सूत्र | Shree Surigandag Sutr

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Shree Surigandag Sutr by उमेशचन्द्रजी महाराज - Umeshchandraji Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२९३ २५९३ २९४ श्९ण २९६ ्‌ ए्‌ 5 ३०९, ३१० ३१९२९ ३१३ ३१६ पक्ति ३ ड १७ श्द ड्‌ द ही अशुद्ध शुद्ध बुद्धा चद्धा सेयकाले. निष्जिण्णा सेयकाले सोबारिं सोवरिं पक्कमर्णि विसल्लकर णि पक्‍्कम।णि करनेत्राठो करनेवाछी गोवाढए १३. गोबाछए १२ अढुवा सोवणिए १ ३, उवक्खाइत्ता उचक्खाइत्ता भव उवक्खाइत्ता उबक्खाइन्ता भवइ उरडि्मि-भाव.. उरच्मिय-भाव ण्णतर अण्णतर भवत्ति भवति गाहाबत्तीण गाइ्ाचतीएण ड्ति इति से तिप्पण तिप्पण पिटण परिततिप्पण अभि भभिगिज्मंति भभिगिज्कंति मिदत्था गिहस्था मदिच्छा फरिस फरिस-रसख कवोयक कबोय पप्फोडिय पक्‍्खाफोडिये असभा भसुभा नरगा असभा




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