भारत वार्षिक ग्रन्थ | Bharat Varshik Granth-1956

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Bharat Varshik Granth-1956 by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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राष्ट्रीय चिरहु, भऋण्डा, गीत तया पंचांग [१४ भ्ौर भष्हा या चिन्ह इसके ऊपर भयदा दाई भोर स्यान नहीं पा सकता । यदि एक हो पंक्ति में भरने कण्डे फहराने हों हो ये सब, राष्ट्रीय भण्डे के वाई शोर हो रहेंगे। जद भन्प स्डों को ऊंचा फहराना हो तो राष्ट्रीय भण्डा सबसे ऊपर रहना चाहिए। थदि एक ही प्वज-दण्ड पर फई भष्डे फहराने हों तो तब भी राष्ट्रीय भण्डा सबसे ऊपर रखा जाना चाहिए। भण्डे को लिटा कर अ्यवा भुकी हुई दशा में कभी न से जाया जाए। लुलूस में धहू भण्डा ध्वजधाहक के दाएं कन्घे पर झौर सबसे ध्रागे रहना घाहिए। यदि छिसो दष्डे पर इसे सीधा या किछी दिड़को, छजे ध्रथया मकान के मुख-भाग से दस भुकी हुई सियति में फहराना हो तो केसरिया भाग ऊपर को भोर रहना चाहिए । सामान्यतः यह भष्डा उच्च न्यापालय, सचिवालय तथा जेल भादि नेते सरकारी भदनों पर हो फहराया जाना चाहिए। भारत गणराज्य के राष्ट्रपति तथा राज्यों के राज्य- पालों के भपने-प्रपने निजी भ्दे हूँ । स्पतग्यता दिवस, महात्मा गान्धी के जन्म दिवस, राष्ट्रीय सप्ठाहू तथा ऐसे पम्प राष्ट्रीय पर्वों पर राष्ट्रीय भण्डा, हुर कोई व्यक्ति फहरा सकता है । राष्ट्रीय गीत विदवषदि रवोन्दनाथ ठाबुर लिखित 'जननाण-मन,..... भारत के राष्ट्रीय गीत दे रुप में २४ जनवरी, १६५० को स्वोड्वत हुमा । यह गीत सर्वप्रयम २७ दिसम्बर, १६११ दो बसबत्ता में भारतोप शाप्ट्रीय कांग्रेस बे झधिदेशन के भ्रवरार पर गाया गया था । पगरा प्रदम पद इस प्रफार है-- जन-गश-मग- झधिनायक गय है भारत-भाप्य-विधाता । पंजाद-शिन्पु-मुजरात सराठा- ड्राविडनउस्कलन्षंग विन्प्य-हिसादल-यसुना-गं गा उच्घप-जसपि तरंग हद दुभ मामे जाएं लव चुम धादिय भगि चाह लव जप-गाचा। शन-गरानमंगलदायक, जप है भारत-भाप्य-दिधाता जप हे, जप हे, जप है, जप कप जप कप है ।




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