वृन्दावनलाल वर्मा व्यक्तित्व और कृतित्व | Vrindavanalal Varma Vyaktitv Aur Krititv

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Book Image : वृन्दावनलाल वर्मा व्यक्तित्व और कृतित्व  - Vrindavanalal Varma Vyaktitv Aur Krititv

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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घर यून्दाचनलाल चर्मा : व्यक्तित्व छर कचित्व ने रसीद लेली थी, इसलिए कि श्रघिफारी इस वात पर विश्वास ही नहीं वरते थे । स्वय बातचीत के सिलसिसे में उन्होंने मुभसे कहा था कि वे श्रघिक-से-प्रघिक सवा सी सम्तरे श्रीर ढाई सौ श्राम एक वार में या चुके हू । श्राज सत्तर साल की उम्र में भी ये कसरत श्रवद्य करते है श्रौर उनमें श्रपार बल हैं । कसरत के श्रतिरिकत वर्माजी घुमक्कड प्रति के है! चुन्देनसण्ड श्रौर मध्य प्रदेश के. पहाड़ो-नदियो, मीलों- तालातों, मन्दिरों-मठी, जगलों-मैदानो के एक-एक फएा से वे परिचित हू । इस घूमने का एक यढा कारए दशिवार का दीर्क भी है। वर्षों उनके जीवन का श्रम ही यह रहा है कि शनिवार को कचहरी का काम सत्म कियां श्रौर साइविल पर वन्द्रक बाँधफर जा बैठे १८-२० मील दूर जगल में । रात-रात भर गुजार दो--निस्तब्घ गगन श्रौर शान्त-प्रकृति के अचठ में । जागते-जागते कर दिया सचवेरा ! उनके पिता के सुन्शी नवाव- अली पर टोपीदार बन्दूक का लायसेन्स था, जिससे उन्होनें बन्दूवा चलाना सीखा । यह सन्‌ १६०९-१० की बात है । लाठी चलाना वे जानते ही थे । तलवार चलाना इन्होने गरीठा सें श्रपने चाचा के पास सोखा था ! मुसलमानों में ताखिसे जब निकालते है तव श्रागे-आगें लोग तलवार फिराते चलते हैं । बर्माजी ने सन्‌ १६०८ से काँसी में मृत वृद्ध स्नी-पुरुषो के एडपान के झागे इसी कार तलवार फिराते चले जाने की अथा चाछू की; जी श्ाज तक कायम हैं 1 प्रकृति के प्रति वर्माजो का अनुराग भूतपूर्व हैं । चुन्देल- खण्ड की भूमि, उसके नदी-तालें, पर्वत-पठार, पेड-पोधे श्रौर




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