ग्राम दान | Gram Daan

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Gram Daan by दादाभाई नाईक - Dadabhai Naiik

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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स्व॒राज्य तो मिला, पर लोग परतंत्र १७ २ हमें गाँव-गाँव में तारीम शुरू करनी होगी । हमारी तालीम ग्रामोद्योग प्रधान, आध्यात्मिक और व्यावहारिक होगी । तालीम के जरिये रामायण, भगवत्‌गीता आदि पुस्तकें गाँव-गाँव में पहुँचानी होगी । गाँववालो को उद्योग का ज्ञान थी देना होगा, ताकि वे उद्योगों में प्रवीण वरनें । इस प्रकार की नयी ताठीम हम चलाना चाहते है। ४ गाँवि-गाँव में आरोग्य की योजना झीघ्नता से करती होगी । इसके वाद कई काम करने होगे। लेकिन ये चार मुख्य काम है। नागरिकों को इसमें योग देना चाहिए । सालिक जनता, सेवक सरकार स्व॒राज्य-प्राप्ति के वाद यहाँ के ठोग परतन्त्र हो गये है। वे समझते है कि हर चीज सरकार ही करेगी । यह बिलकुल गत विचार है। इससे ज्यादा भयानक विचार दूसरा कोई नहीं है। सरकार वाल्टी है और जनता कुुआँ । कुएँ के पानी का एक छोटा-सा हिस्सा वाल्दी में जाता है। उसी तरह जनता की शक्ति का एक अत्यन्त अल्प हिस्सा सरकार के पास होता है । लेकिन इन दिनों एक वडा अ्रम फैला हुआ है कि वालटी में ही ज्यादा पानी जाता है । वस्तुत सरकार की शक्ति शून्य-जैसी है और जनता की णविति एक के अक जैसी है। एक और शून्य, दोनो मिलकर दस वनते हू। इसी तरह जनता गौर सरकार, दोनो की शक्ति मिलकर बहुत बडी शक्ति पैदा होती है, इसमें कोई सन्देहू नही है। लेकिन अगर दोनो का अलग-अलग तौर करेंगे, तो जनता की शक्ति एक के जितनी है और सरकार की द््न्य जितनी, यह मालूम होगा। लोक-सत्ता मे लोगो को अलग रखा जाय, तो सरकार क्या चीज है? सरकार तो आपके चुने हुए नौकरो से वनती है। कोई अगर यह कहे कि उसकी शर्क्ति उसके नौकरों में है, तो वह पु कहा जायगा। छोगों को यह महसूस होना चाहिए कि हमने कारोवार चलाने के लिए ये नौकर रखे हैं। परन्तु हमारे दिमाग से हमारी सूचना के अनुसार काम होना चाहिए । इन दिनों विलफेअर स्टेट के नाम पर नौकर ही योजना करते हैं। योजना तो माछिको को करनी चाहिए और नौकरों को उसे २




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