विनय अलवर - अंक | Vinay Alawar - Ank

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Vinay Alawar - Ank by जयसिंह नीरज - Jaysingh Neeraj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इतिहास का दर्द श्दे मन्दिर का निर्माण करवाया था इसी जाति का था ।. १५वी झताब्दी में श्रासलदेव के पु गोगादेव प्रसिद्ध एव पराक्रमी राजा हुए है! इनकी राजधानी मार्चेडी थी, जो उस समय घन- घान से परिपुणं थी । देवकुण्ड बटगुजर ने देवती नामक नगर बसा वर उसे झपनी राजघानी बनाया और गुजंर-प्रतिह्वारो मे बडगुजर शाखा विशेष को महत्वशाली बनाया । १६वी शताब्दी के बाद राजा ईइ्वरमल मे श्रकबर की आ्राधीनता स्वीकार करने से इन्दार कर दिया इसलिए श्रकबर ने बडगुजरों की प्रभुसत्ता को तहस-नहस कर दिया भ्रौर वे बेचारे श्रपने वैभवशाली राज्यो के लिए मर मिटे । जो बचे वे उत्तर की ओर बढ श्राये । तसीग झ्राज भी बडगूजरों का. महत्वपूर्ण ठिकाना माना जाता है। उसके झासपास के श्रनेक ग्राम भी बडगुजरों के है। हो सकता है पहाडी प्रदेश में मेसे पालकर गुजरा करने दाले गूजरो का सबंध भी गुजर-प्रतिहारों से हो, पर यह श्रलग शोध का विषय है । २ चौहान--मुण्डावर, बटरोड श्रौर बानसुर तहसीलो में चौहान राजपूतो के भ्रनेक गाव हैं। ऐतिहासिक दृष्टि से चौहान राजपूदो वा भी महत्व कम नही है। कहते है कि शवी शताब्दी में श्रलवर जिले के पर्चिमोत्तरीय भाग पर मोरध्वज चौहान का राज्य था ।. यह ईश्वर चौहान का बेटा श्नौर राजा उमादत्त का छोटा भाई था । इसकी राजधानी साहबी नदी के तट पर मोरघ्वज नगरी थी । इस प्राचीन बस्ती के चिन्ह नदी के कटाव पर भ्रव भी पाए जाते हैं । अलवर जिले में चौहानों का प्रताप पृथ्वीराज चौहान के समय से अधिक रहा है। १२वी शताब्दी से पूव भ्रजमेर के राजा वीसलदेव चौहान के श्रलवर के निकुम्भो को श्रपने अधीन कर लिया श्रौर सम्राट पृथ्वी राज चौहान ने निकुम्भों से अ्लघर छीनकर अपने वशवालों वे श्रधिकार में दे दिया । ध्रथ्वीराज के समय मे भ्रजमेर से लेकर दिल्‍ली तक चौहानों वा झातक था श्रौर श्रलवर जिला भी इसी आ्ातक से प्रभावित था 1 सम्राट पृथ्वी राज के वशज राव सक्ट के वशज इस जिले के चौहान हैं । १४वीं शताब्दी के श्रारम्भ में मदनसिंह चौहान ने मदनपुर (मुण्डावर) गॉव बसाया । इही के वशज रावहासा के पुत्र राव क्रामा बडे भक्त एव कट्टर हिंदू थे । बादशाह फीरोजशाह तुगलक की सेना मे मुण्डावर पर चढाई करके राव भामा को जीवित पकड लिया आर श्रत मे बादशाह ने इनको बलातू मुसलमान बनाकर मुण्डावर प्रान्त लौटा दिया, पर यहाँ पहुँच कर इटहोने हिन्दू-धम ही ग्रहण किया । यद्यपि फिर पकड़े जाकर मारे गये पर विधर्मी होना स्वीकार न क्या । इनका बेटा चाँद जो छोटी भ्रवस्था में था, मुसलमाप बनाकर मुत्लाश्रो की देख-रेख में रखा गया । भ्रब चाद के चाचा राजदेव ने मुण्डावर छोड़कर सन्‌ १४६४ में नीमराना को अपनी राजधानी बनाया, जिसके वशज वतमान नीमराना के राजा, ततारपुर भ्ौर पेहल के ठाकुर है । मुण्डावर श्रौर नीमराना के चौहानो ने मामाड, कुल भर रामपुर मे अपने ठिकाने बनाये, किल्तु कुददवाह वशीय महाराजा उदयकररा के पुत्र राव बालाजी के वशजों (शेखावतो) ने चौहानो को कुल श्रौर मामोड भ्रादि स्यानों पर टिकने नहीं दिया ।. तेजसी के पुत मानसिह श्रौर शक्तिसिहू




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