भक्तिकालीन हिन्दी - साहित्य पार मुस्लिम - संस्कृति का प्रभाव | Bhaktikalin Hindi - Sahity Par Muslim - Sanskriti Ka Prabhav

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Bhaktikalin Hindi - Sahity Par Muslim - Sanskriti Ka Prabhav by असद अली - Asad Ali

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१४ : भक्ति काल और मुस्लिम संस्कृति के पास हैं, वे चीज़ें जो वे करते हैं और वह जो वह सोचते हैं संस्कृति है ।” मैलिना- उसकी के अनुसार संस्कृति सामाजिक विरासत है जिसमें परम्परा से पाया हुआ कला- कौशल, वस्तु सामग्री, यांत्रिक क्रियाएं, विचार, आदतें और मुल्य समाविष्ट हैं ।* इस प्रकार हम देखते हैं कि संस्कृति की व्याप्ति बहुत बड़ी है । वैसे तो संस्कृति संस्कार की क्रिया है और यह अपने भभिधा में ही प्रयुक्त होती है। परन्तु इसके द्वारा वोध केवल इतने का ही नहीं होता । संस्कृति से तात्पर्य समाज और जीवन के सर्वा- गीण संस्कार, सुधार भौर विकास से है । इसकी सीमा में खान-पान वेश भूषा, रहन- सहन, साहित्य, कला, आचार विचार, व्यवहार, राजनीति, दर्शन, नीति-रीति, रुचि, धर्म, अथें आदि समाज तथा जीवन से सम्बद्ध सभी तत्व आते हैं भौर इन सभी के संस्कार सुधार एवं' विकास से इसका सम्बन्ध होता है। किसी युग की संस्कृति से तात्पयं उस युग के सर्वतोमुखी विकास से है । मुस्लिम-संस्क्ृति मुस्लिम-संस्कृति की युक्तियुक्त परिभाषा देना बहुत कठिन है। इस्लाम धर्म के अनुयायियों को मुसलमान कहते हैं* किन्तु मुस्लिम-संस्कृति पूर्णतया न इस्लाम के अनुयायियों की बनाई हुई है न अरबों की वरनु यह कहना उचित होगा कि एशिया और अफ्रीका की वे जातियां जिन्होंने इस्लाम के उदय के समय यूरोप से संस्कृति का लोप हो जाने के परचातु इस्लाम धर्म ग्रहण कर उसके पुनरुत्थान में योग दिया; मुस्लिम-संस्क्ृति के अन्तगंत एक हो गई । संक्षेप में मुस्लिम-संस्क्ृति की परिभापा इस प्रकार की जा सकती है--मुस्लिम-संस्कृति से तात्पये इस्लाम के प्रकाश में समाज और जीवन के सर्वागीण' संस्कार सुधार और विकास से है जिसकी सीमा में रहुन-सहन, खान-पान, वेशभूपा, साहित्य, कला, दशेन, राजनीति, आचार व्यवहार, नीसि-रीवि, रुचि, धर्म, अर्थ आदि व्यक्ति समाज तथा जीवन से सम्बद्ध सभी तत्व आते हैं। मुस्लिम-संस्कृति की प्रच्नत्ति मुस्लिम-संस्क्ृति की प्रदृत्ति आदि काल से ही उदारता के साथ समन्वयात्मक रही है और इस्लाम के प्रकाश में देश काल के अनुसार उसके स्वरूप का विकास एवं विस्तार होता रहा । प्रारम्भमें मुस्लिम विजेताओं के पास परम्परागत अरब संस्कृति ही थी इसलिए उन्होंने जहाँ विभिन्न देशों को विजित करके उन पर अधिकार जमा लिया १. हसे को चिट्स, पृ० ६२४ २. एंसाइक्लोपीडिया आफ़ द सोशल साइंसेज, पृ० ६र१ 3 दे. शारटर एंसाइक्लोपीडिया आफ़ इस्लाम, पृ० '४१७




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