प्रतिक्रमणत्रय शब्दकोश | Pratikramantray Shabdakosh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
113
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रतिक्रमणत्रय शब्दकोश ८
अ्रहिबंदिऊशग--नमस्कार करके ।
श्रहोरदियं--दिवस-रात्रि सम्बन्धी ।
श्रंकुरा--अंकूर ।
श्रंडाइया--श्रण्डों से उत्पन्न होने वाले कबूतर श्रादि पक्षी ।
श्रंतउरं-अंत:पुर (रानियों का निवासगूह) ।
झ्ंतयडाणं --ससार का अ्रंत करने वालों का ।
प्रत्येक तीर्थंकर के काल में घोरोपस्ग सहन कर प्रन्तमुं हुते
में सर्वे कर्म क्षय करने वाले दस-दस अझन्त:कृत केवलियों का।
अ्रंतो-अंतो --श्रन्दर ही भ्रन्दर ।
आ
झाइच्चेहि--सू्ये से ।
अआइरियारां--पंचाचार का स्वयं पालन करने वाले, श्रौरों को
पालन कराने वाले तथा छत्तीस गुणों से समन्वित
श्राचार्यों को ।
श्राउंचणे-. हाथ भ्रौर पैरों को सकुचित करने में ।
श्राउस्संतो--हे ग्रायुप्मान् भव्यों !
श्रागदिगदि-चवरतोवचाद...-श्रन्य स्थान से यहाँ भ्राना आ्रागति, यहाँ
से भ्रन्यत्र जाना गति । मररप करना
(च्यवन ) और जन्म लेना (उपपाद ) ।
अआगर्मेसि-.-श्रागामी ।
श्राणायणेरा वा - मर्यादा किये हुए क्षेत्र के बाहर से वस्तु मंगाई
हो।
झादारा-रिक्खेवरा-समिदी श्रादान-निक्षेपण समिति ।
सूक्ष्म जीवों की हिसा से बचने के लिए
शास्त्रादि उपकरणों को पिच्छिका से
माजन कर सावधानी पूर्वक रखना-
उठाना श्रादान-निक्षेपण समिति है.
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