सुत्तागमे भाग - ३ | Suttagame Vol-iii
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
42 MB
कुल पष्ठ :
1328
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पाक
( नोट ) आपने इन एप्टपटॉपर अंकित सम्मतियोसे यह तो जान ही छिया
होगा कि ये प्रकाशन केसे हैं । बेसे तो सब सम्रदायोंके सुनियो और महासतिया
एवं जिन्नासुओकी ओरसे सब्ोंकी मांगें घडावट आती रहती है, अयांत, सक़ोका
प्रचार आधासे अधिक हो रहा है । ११५ अंगों से युक्त 'सुत्तागमे” महान अ्रथकी
य्रशसा बड़े ९ महाविद्वानोनि मुक्तकंटसे की है । यह अपूर् ग्रेथराज केंब्रिज, चार्शिंग-
रन, येंढे, फिलाडेल्फिया, कैंठीफोर्निया, छौवीलेंड, न्यूयारक, पिंरटन, चिकागों
( अमेरिका ), जर्मन, जापान, चीन, पैरिस, सिंगापुर, मुंबई, ककता, चैनारस
मड़ास, आगरा, पंजाब, ढेहछी, भादारकर ओरेटियल इंस्टीव्यूट पूना आदिकें
महापुस्तकाल्यों एवं यूनिवर्सिटियोंमें थी णोभा प्राप्त कर चुका है. । तथा वहांसे
पयोप्त संख्यास प्रमाणपत्र और प्रशंसा पत्र आए हैं जिन्हें प्रंथराज के देहसनके
असधिक बढ़ जाने के कारण नही दिया गया । अधिक क्या कहें: इसकी ज्यादह
प्रशंसा करना मानों सूर्यको दीपक दिखाना है । इसी प्रकार अरथागम और उभया+
गसो को भी यथासमय मुनियों मद्दासतियों एव जिज्ञासुओके करकमलोमें पहुँचा-
कर समिति अपना ध्येय पूरा करनेका प्रयल्न करेगी । समिति यही चाइती है
कि हमारे सुनिगण प्रकाण्ड विद्वान वनकर जिन-शासनका उत्थान करे एवं
आगमों का सर्वत्र प्रचार हो । मंत्री
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