आकंड़ेबाजी | Aankrebaji
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
112
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बयान एक कौए का-सदर्भ राष्ट्रीय पक्षी
सहामहिम राष्ट्रपति जो,
सादर प्रणाम
भागा है, भाप अपने एयर कडीशण्ड राष्ट्रपति भवन मे, कंबूतरों की गुटर-
गू का मधुर संगीत सुनते हुए, भान दपूर्वक होंगे । किन्तु श्रीमानु जी, मैं अत्यन्त
दुष्वी हूं । मेरे दुल्ल का कारण है, भारत की सरकार का कपटपूण निणय । जी हो
* भारत सरकार ने राष्ट्रीय पक्षी के चयन मे पशपातत पर रवैया अपनाया 1
राष्ट्रीय पी के चयन के पूर्व किसी प्रकार की घोषणा न करके, अय पक्षियी
को अपना पक्ष प्रस्तुत करन का अवसर नहीं दिया गया और गुप-बुप मोर मे
थृल मे अयायपूण निणय द दिया गया ।
चयन की प्रक्रिया, फिर चयन के पश्चात् भी, बरती गई गोपनीयता ही,
इस पक्षपात का सबसे बडा सबूत है । इस मामले में गोपनीयता वरती गई,
इसक लिए यहीं कहना पर्याप्त होगा कि मुक्त जैस जागरूव पक्षी को भी इस
निणय की जानवारी वर्षों बाद मिल सकी । तो महामहिम ' मुझ भारत सरकार
से मिणय पर मात्र आपत्ति नहीं, घोर आपत्ति है । कोई भी समकदार पली इस
निणय को सही नहीं मानेगा ।
“मैं जानता हूं कि आजकल सत्य को सत्य सिद्ध करने के लिए भी सबूत
अस्तुत करना अनिवाय होता है । सो में अपनी बात स्पप्ट करने के लिए कुछ
अमुख मुद्दे आपके विचाराथ प्रस्तुत कर रहा हूं ।”
“सबसे पहले रुप-रग को ही लीजिए । पता नहीं शासन ने विसे बहुकावे
मे आकर मोर को छुबसूरत पतली मानव लिया । मेरी समक मे नहीं आता कि
अजीब बदरग पसी मोर, जिसकी पूछ अनेक रंगो से रंगी हुई होती है और
उस भाइनुमा पूछ को प्रत्येक सीक के सिरे पर बड़े-बड़े बंगनी धब्बे होते हैं,
किस प्रकार निर्णायकों को पूबसूरद दिखाई दिये । यदि पूंछ ये अनेक रंगों दे
User Reviews
No Reviews | Add Yours...