कैसे जिएं चिंतामुक्त जीवन | Kaise Jien Chinta Mukt Jivan

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Kaise Jien Chinta Mukt Jivan by सरूप सिंह - Sarup Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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2 वातावरण और चिन्ता करने की आदत च्विः भता रोग की चिकित्सा करने के लिए यह जानना आवश्यक है कि उसके कारण क्या हैं? जब हम किसी चिन्तित व्यक्ति की मानसिक स्थिति का अध्ययन करते हैं तो यह ज्ञात होता है कि उसके लगभग सभी कष्टों और दुखों का कारण चिन्ता करने की आदत होती है। उसम काइ शारीरिक या मस्तिष्क संबंधी कमजोरी नहीं होती । उसमें तथा एक साधारण व्यक्ति में केवल यह अंतर होता है कि चिन्ता करने वाला दूसरे व्यक्तियों तुलना में अधिक भावुक और संवेदनशील होता है। वह अनजाने हीं चिन्ता करने की आदत सीख लेता है। मनोवैज्ञानिकों ने अनेक प्रयोगों को करने के वाद यह निष्कर्ष निकाला है कि यदि किसी भी चिन्ता से मुक्त रहने वाले व्यक्ति को ऐसे दातादरण तथा. लोगों के साथ रख दिया जाय जिन्हें चिन्तित रहने की आदत हो तो कुछ महीनों बाद वह व्यक्ति भी चिन्ता करने की आदत सीख जाता हैं । यह आदत तीव्रता से बढ़ती जाती है और कुछ समय वाद उस व्यक्ति का सारा ध्यान दिन-रात अपनी चिन्ताओं में ही लगा रहता है। इसका प्रभाव यह होता है कि उस व्यक्ति के अन्दर हानिकारक भावावेग (फक्षाफरणि शाए0ांता«) उत्पन्न होने लगते हैं। हानिकारक भावावेग के कारण उस व्यक्ति में कुछ वीमारियों के शारीरिक लक्षण उत्पन्न होना प्रारंभ हो जाते हैं| इनसे दुखी होकर वह अपना इलाज कराने के लिए डाक्टरों के पास भागा जाता है। नी न --1 न हँस ज् 13




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